Share Market: ईरान-इजरायल सीजरफायर की वजह से भारतीय बाजारों में लौटी रौनक, जानें बाकी के देशों का क्या रहा हाल

Share Market: ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष विराम की खबर से वैश्विक और भारतीय बाजार में जोरदार तेजी देखी गई है। जानिए कैसे वेस्ट एशिया में शांति ने सेंसेक्स, निफ्टी और एशियाई बाजारों को प्रभावित किया।

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भारतीय शेयर बाजार- फोटो : social media

Share Market: वेस्ट एशिया से 25 जून 2025 को आई एक सकारात्मक खबर ने विश्व बाजारों में उम्मीद की किरण जगा दी। ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनावपूर्ण संबंधों के बीच संघर्ष विराम की घोषणा ने भारतीय शेयर बाजार को खासा प्रभावित किया। दिन की शुरुआत में ही सेंसेक्स 325 अंकों की छलांग के साथ खुला और निफ्टी भी 25100 के ऊपर ट्रेड करता दिखा।

यह उछाल सिर्फ एक आंकड़ा नहीं बल्कि निवेशकों की उस राहत की प्रतिक्रिया है जो उन्हें अस्थिर भू-राजनीतिक परिस्थितियों से मिली है। निवेशक न केवल भारतीय बाजार में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी जोखिम लेने को तैयार दिखे।टाइटन जैसे ब्लूचिप स्टॉक्स में 2% तक की बढ़त देखी गई, जो यह दर्शाता है कि उपभोक्ता आधारित कंपनियों पर निवेशकों को भरोसा बढ़ रहा है।

एशियाई बाजारों की चाल: शांति की आहट का असर

जहां एक ओर जापान का निक्केई 0.10% की गिरावट के साथ ट्रेड कर रहा था, वहीं दूसरी ओर एशिया के बाकी बड़े बाजारों में सकारात्मक रुझान देखने को मिला।

स्ट्रेट टाइम्स में 0.56% की बढ़त

ताइवान का बाजार 0.94% ऊपर

हैंगसेंग 0.76% की तेजी

शंघाई कंपोजिट में 0.05% की हल्की बढ़त

कोस्पी 0.20% ऊपर

इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि क्षेत्रीय बाजार संघर्ष विराम को लेकर आशान्वित हैं और निवेशकों ने अस्थिरता के डर को कम करते हुए बाजार में प्रवेश किया है।

संघर्ष विराम की घोषणा से एक दिन पहले की स्थिति

मंगलवार, 24 जून को जैसे ही संघर्ष विराम की खबर आई, सेंसेक्स 158 अंक ऊपर बंद हुआ। हालांकि, दिन के मध्य में जब सीजफायर के उल्लंघन की अफवाहें फैलने लगीं तो बाजार ने अपनी बढ़त को काफी हद तक खो दिया।

रेलिगेयर ब्रोकिंग के रिसर्च हेड अजित मिश्रा ने कहा, “यह दिन एक घटना-प्रधान ट्रेडिंग दिन था, जहां सूचकांक सकारात्मक और नकारात्मक खबरों के बीच झूलते रहे।” यह वाक्य बाजार की उस मनोदशा को पूरी तरह से दर्शाता है, जिसमें स्थिरता और अनिश्चितता दोनों का समावेश था।जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स के रिसर्च हेड विनोद नायर ने भी बताया कि शुरुआती तेजी में तेल की कीमतों में गिरावट और संघर्ष विराम की उम्मीद ने भूमिका निभाई, लेकिन दोपहर तक आई नकारात्मक खबरों ने इस उत्साह को कमजोर कर दिया।