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UPI और RuPay डेबिट कार्ड पर मर्चेंट चार्ज, क्या यह बदलाव छोटे व्यापारियों के लिए संकट बन सकता है?

अगर छोटे व्यापारी और छोटे व्यवसाय UPI और RuPay के जरिए लेन-देन से हटते हैं, तो इससे भारत में डिजिटल भुगतान क्रांति को धीमा कर सकता है।

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upi transaction- फोटो : Social Media

भारत में डिजिटल भुगतान की क्रांति ने वित्तीय समावेशन को नई दिशा दी है। UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) और RuPay डेबिट कार्ड जैसे भुगतान विकल्पों ने न केवल आम आदमी के लिए वित्तीय लेन-देन को आसान बना दिया है, बल्कि देश के छोटे और मंझोले व्यापारियों को भी बड़े पैमाने पर लाभ पहुंचाया है। इन डिजिटल भुगतान विधियों पर फिलहाल कोई मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) या फीस नहीं ली जाती है, लेकिन अब सरकार इन पर मर्चेंट चार्जेस फिर से लागू करने पर विचार कर रही है। इस खबर ने व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है।

क्या है मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR)?

MDR उस फीस को कहा जाता है जो व्यापारी भुगतान प्राप्त करने के लिए भुगतान प्रोसेसिंग कंपनी को देते हैं। इसे आमतौर पर डेबिट या क्रेडिट कार्ड स्वाइप करने पर लागू किया जाता है। आज तक, UPI और RuPay डेबिट कार्ड जैसे भुगतान माध्यमों पर यह शुल्क लागू नहीं किया गया है, क्योंकि इन्हें नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा प्रोवाइड किया जाता है। यह व्यवस्था छोटे व्यापारियों के लिए एक बड़ी राहत थी, जो डिजिटल पेमेंट्स को अपनाने में हिचकिचा रहे थे।

सरकार का यह निर्णय क्यों हो सकता है?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार अब बड़े व्यापारियों पर मर्चेंट चार्जेस लगाने पर विचार कर रही है, जबकि छोटे व्यापारियों को इससे राहत देने पर विचार किया जा रहा है। यह कदम सरकार की ओर से बड़े व्यापारियों और मर्चेंट्स की बढ़ती संख्या को देखते हुए उठाया जा सकता है, जिन्होंने UPI और RuPay के बिना किसी शुल्क के लाभ का फायदा उठाया है।

छोटे व्यापारियों पर असर

हालांकि सरकार छोटे व्यापारियों को इस नए शुल्क से राहत देने की बात कर रही है, लेकिन यदि यह योजना लागू होती है तो इससे छोटे व्यापारियों को भारी नुकसान हो सकता है। डिजिटल पेमेंट्स की व्यवस्था को छोटे व्यवसायों के लिए सरल और सस्ता बनाने के उद्देश्य से, MDR की छूट ने उन्हें अपने व्यापार को बढ़ाने में मदद दी है। यदि इस शुल्क को लागू किया गया, तो इसका सीधा असर उनकी कमाई पर पड़ेगा, क्योंकि MDR की बढ़ती दरें उनके लाभ में कटौती कर सकती हैं।

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