Success Story: जहाँ नीट और यूपीएससी ने तोड़े ख्वाब, वहीं इंजीनियरिंग ने लिखी तकदीर,20 साल की उम्र में ऋतुपर्णा को मिली 72 लाख की नौकरी

Success Story:नीट यूपीएससी की नाकामी के बाद जब ऋतुपर्णा के सपनों का शीशा टूटा, तब उन्होंने खुद को समेटा नहीं,टूटे शीशों से एक नई राह तराशी। और ऋतुपर्णा ने न सिर्फ़ किताबों में, बल्कि ज़िंदगी की असल किताब में भी क़ामयाबी की इबारत लिख दी...

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कहानी मेहनत, इरादे और हौसले का आइना- फोटो : social Media

Success Story:कभी-कभी ज़िंदगी वो राह दिखा देती है, जो हमारे ख्वाबों से जुदा होती है मगर मंज़िल उससे कहीं बेहतर होती है। कर्नाटक की ऋतुपर्णा के.एस. की कहानी उन्हीं कशमकशों, संघर्षों और फतहों से बुनी हुई दास्तान है, जो हर नौजवान को ये यक़ीन दिलाती है कि नाक़ामी मंज़िल का नाम नहीं, एक पड़ाव है जो हौसलों को परखता है।

नीट की नाकामी के बाद जब उनके सपनों का शीशा टूटा, तब उन्होंने खुद को समेटा नहीं, बल्कि टूटे शीशों से एक नई राह तराशी। यूपीएससी की राह में कदम रखा, मगर तक़दीर को कुछ और ही मंज़ूर था। पिता की नसीहत बनी रहनुमा और उन्होंने इंजीनियरिंग को अपना मक़सद बना लिया।

सह्याद्री कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट, अड्यार में दाख़िला लिया, जहां मशीनों और रोबोटिक्स की दुनिया ने उनके भीतर का जुनून जगा दिया। मकसद साफ़ था—कुछ नया करना, कुछ बड़ा करना। एक दोस्त के साथ मिलकर ऐसा डिटैचेबल रोबोट तैयार किया, जो सुपारी के पेड़ों पर कीटनाशक का छिड़काव और फल तोड़ने जैसे काम करता था। ये इजाद उन्हें गोवा की अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में ले गई, जहां जापान, रूस, चीन और सिंगापुर जैसे देशों के स्टूडेंट्स को उन्होंने टक्कर दी और मेडल अपने नाम किया।

यह जुनून ही था जिसने विश्वविख्यात कंपनी का दरवाजा उनके लिए खोला। पहले इंटर्नशिप, फिर ऑफर पहले ₹39.58 लाख का और आखिरकार ₹72.2 लाख का सालाना पैकेज। और ये सब महज 20 साल की उम्र में!

ऋतुपर्णा ने न सिर्फ़ किताबों में, बल्कि जिदगी की असल किताब में भी कामयाबी की इबारत लिखी है। दक्षिण कन्नड़ डीसी फ़ेलोशिप के टॉप 15 में शामिल होकर उन्होंने असल समस्याओं के हल तलाशे।

उनका यक़ीन है “ख़्वाब देखने वाले बहुत हैं, लेकिन मेहनत में खुद को झोंकने वाले कम। हज़ार बार गिरो, मगर उठो उसी शिद्दत से।”

ऋतुपर्णा की यह कहानी साबित करती हैजिन्हें मंजिल की लगन होती है, उनके लिए रास्ते खुद बनते हैं।