Irani Riyal VS Dollar: ईरान की मुद्रा रियाल ऐतिहासिक निचले स्तर पर, एक डॉलर के लिए देने पड़ रहे 13 लाख रियाल रुपये पर भी दबाव,

Irani Riyal VS Dollar: ईरान की मुद्रा रियाल रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है, जहां एक डॉलर के लिए 13 लाख रियाल चुकाने पड़ रहे हैं। प्रतिबंधों और क्षेत्रीय तनावों के बीच महंगाई बढ़ी है, वहीं भारत का रुपया भी डॉलर के मुकाबले 90.74 के ऐतिहासिक निचले स

Irani Riyal VS Dollar
डॉलर ने घोटा ईरानी रियाल का गला!- फोटो : social media

Irani Riyal VS Dollar: ईरान की मुद्रा रियाल ने इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की है। सोमवार को एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 13 लाख ईरानी रियाल तक पहुंच गई, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। इसका सीधा संकेत है कि रियाल की अंतरराष्ट्रीय कीमत लगभग खत्म हो चुकी है। यह गिरावट ऐसे समय आई है जब ईरान कड़े अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और बढ़ते क्षेत्रीय तनावों से जूझ रहा है।

तेहरान के मुद्रा बाजारों में डॉलर की मांग अचानक बढ़ गई है। कारोबारियों के मुताबिक बीते कुछ ही हफ्तों में रियाल 12 लाख से फिसलकर 13 लाख प्रति डॉलर के पार पहुंच गई। इससे पहले 3 दिसंबर को भी रियाल ने अपना पिछला रिकॉर्ड निचला स्तर छुआ था, लेकिन अब हालात और बिगड़ते नजर आ रहे हैं।

महंगाई ने तोड़ा आम लोगों का बजट

रियाल की तेज गिरावट का असर सीधे ईरान की आम जनता पर पड़ रहा है। खाने-पीने की चीजें, दवाइयां और रोजमर्रा का सामान लगातार महंगा हो रहा है। घरेलू बजट पर भारी दबाव है और ईंधन की कीमतों में हालिया बदलाव से हालात और खराब हो सकते हैं। आर्थिक अनिश्चितता के चलते लोग अपनी बचत को विदेशी मुद्रा या सोने में बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

राजनीतिक तनाव और प्रतिबंध बने बड़ी वजह

ईरान की मुद्रा संकट की सबसे बड़ी वजह अमेरिका द्वारा लगाए गए सख्त प्रतिबंध माने जा रहे हैं। देश को अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग सिस्टम से काफी हद तक बाहर कर दिया गया है, जिससे विदेशी लेन-देन मुश्किल हो गया है। तेल निर्यात पर रोक लगने से डॉलर की आमद कम हो गई है। इसके अलावा, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका से बातचीत ठप पड़ी है और इजरायल के साथ संभावित टकराव की आशंका ने बाजारों की चिंता और बढ़ा दी है।

भारत का रुपया भी दबाव में

इसी दिन भारत की मुद्रा रुपया भी अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुई। सोमवार को रुपया 25 पैसे टूटकर 90.74 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह 90.80 तक भी पहुंच गया था।

विशेषज्ञों के मुताबिक भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता और विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली से रुपये पर दबाव बढ़ा है। आयातकों की ओर से डॉलर की मजबूत मांग ने स्थिति को और कठिन बना दिया।

बाजार विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट दिलीप परमार के अनुसार, रुपया फिलहाल एशियाई मुद्राओं में सबसे कमजोर प्रदर्शन कर रहा है। उन्होंने कहा कि आयात की ज्यादा मांग और पूंजी निकासी के कारण डॉलर-रुपया बाजार में असंतुलन बना हुआ है। आने वाले दिनों में रुपये पर दबाव बना रह सकता है, जहां 90.95 एक अहम रेजिस्टेंस और 90.50 सपोर्ट लेवल माना जा रहा है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चेतावनी

ईरान की मुद्रा का इस तरह टूटना केवल एक देश की समस्या नहीं है, बल्कि यह वैश्विक आर्थिक अस्थिरता की ओर भी इशारा करता है। वहीं भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए भी कमजोर मुद्रा महंगाई और आयात लागत बढ़ने का संकेत देती है।