Bihar Crime News: NIA के शिकंजे में PFI का बिहार प्रदेश अध्यक्ष, 19वां मोहरा गिरफ़्तार , इस्लामिक हुकूमत का गेम ऐसे हुआ एक्सपोज

Bihar Crime News: 2022 में खुली क्राइम और साज़िश की फ़ाइल ने ना सिर्फ़ बिहार की सियासी सरज़मीं को हिला दिया था, बल्कि पूरे मुल्क की सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट पर ला दिया था। और अब, NIA ने इस कहानी का एक और मोहरा गिरा दिया है।...

PFI Bihar chief nabbed
NIA के शिकंजे में PFI का बिहार प्रदेश अध्यक्ष- फोटो : social Media

Bihar Crime News: क्राइम और साज़िश की दुनिया में फुलवारी शरीफ केस किसी ब्लॉकबस्टर स्क्रिप्ट से कम नहीं। 2022 में खुली इस फ़ाइल ने ना सिर्फ़ बिहार की सियासी सरज़मीं को हिला दिया था, बल्कि पूरे मुल्क की सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट पर ला दिया था। और अब, नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी  ने इस कहानी का एक और मोहरा गिरा दिया है। शनिवार को NIA ने कटिहार ज़िले के हसनगंज का रहने वाला और PFI का बिहार प्रदेश अध्यक्ष महबूब आलम उर्फ़ महबूब आलम नदवी को किशनगंज से दबोच लिया। वो इस मामले में गिरफ्तार होने वाला 19वां आरोपी है। शुरुआती दौर में लोकल पुलिस ने 26 लोगों पर केस दर्ज किया था, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, PFI के आतंक-ए-साज़िश के तार गहरे होते चले गए।

दरअसल, NIA की चार्जशीट ने इस केस की पूरी पिक्चर साफ़ कर दी है  कि PFI का अजेंडा था मुल्क में इस्लामिक शासन क़ायम करना।इसके लिए उन्होंने एक सीक्रेट डॉक्यूमेंट तैयार किया था – “इंडिया 2047: टुवर्ड्स रूल ऑफ इस्लाम इन इंडिया”।यह दस्तावेज़ 11 जुलाई 2022 को पटना के फुलवारी शरीफ स्थित अहमद पैलेस से बरामद हुआ था।

महबूब आलम सिर्फ़ नाम का पदाधिकारी नहीं था, बल्कि क्रिमिनल कॉन्सपिरेसी का एक्टिव ऑपरेटर। जांच के मुताबिक़, वो भर्ती करता था, ट्रेनिंग कैम्प और मीटिंग्स अरेंज करता था, फंडिंग जुटाता था और PFI की जहरीली विचारधारा को फैलाता था। उसका नेटवर्क सिर्फ़ बिहार तक सीमित नहीं, बल्कि कई ज़िलों और पड़ोसी प्रदेशों तक फैला हुआ था।

NIA का कहना है कि यह “क्रिमिनल-ए-टेरर प्लान” सीधे-सीधे मुल्क की शांति और अमन पर वार था। PFI की इस साज़िश का मक़सद था  धर्म के नाम पर नफ़रत फैलाना, समाज को बांटना और दहशत का माहौल बनाना।

फुलवारी शरीफ का केस कोई मामूली FIR नहीं, बल्कि “मास्टर प्लान” का ब्लूप्रिंट है। हर गिरफ़्तारी इस पज़ल का नया टुकड़ा है, और महबूब आलम की गिरफ्तारी से यह साफ़ हो गया है कि PFI का नेटवर्क महज़ सड़क छाप गैंग नहीं, बल्कि आतंकी अजेंडा का संगठित चेहरा था।

फिलहाल, NIA ने साफ़ किया है कि जांच अभी जारी है। सवाल ये है कि क्या आने वाले दिनों में और बड़े नाम इस शिकंजे में फँसेंगे? या फिर महबूब आलम जैसा “सियासी-ए-आतंकी मोहरा” ही वो कुंजी है, जिससे पूरी साजिश का ताला खुल जाएगा।