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Success Story: कहानी लालचंद की...13 बार फेल होने के बाद भी नहीं मानी हार, 14वें प्रयास में मिली सरकारी नौकरी

लालचंद सुथार को 13 बार असफल होने के बाद 14वें प्रयास में सरकारी नौकरी मिली। पिता के प्रोत्साहन से उन्होंने फिर से तैयारी की। कड़ी मेहनत और सही रणनीति से उन्होंने आरपीएससी परीक्षा पास की।

Lalchand Suthar
Lalchand Suthar- फोटो : Lalchand Suthar

"रुक जाना नहीं तू कहीं हार के..." यह महज एक गीत नहीं, बल्कि राजस्थान के लालचंद सुथार के जीवन की सच्ची प्रतिध्वनि है। एक साधारण परिवार से आने वाले इस शख्स ने गरीबी, असफलताओं और संघर्षों के सामने कभी हार नहीं मानी। 13 बार असफल होने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और 14वें प्रयास में सरकारी नौकरी पा ली। कोटा जिले के बुरानखेड़ी गांव के रहने वाले लालचंद सुथार का जीवन हमेशा आसान नहीं रहा। एक साधारण मजदूर पिता के बेटे लालचंद को पढ़ाई के लिए कई संघर्षों से गुजरना पड़ा। शुरुआती शिक्षा सरकारी स्कूल से पूरी करने के बाद उन्होंने किसी तरह कॉलेज की पढ़ाई पूरी की। लेकिन बीएड की फीस भरने के लिए उन्हें कर्ज लेना पड़ा। संघर्ष ही उनके जीवन की पहचान बन गया था।


साल 2015 में उन्होंने पहली बार REET की परीक्षा दी, लेकिन फेल हो गए। फिर एक के बाद एक 13 परीक्षाओं में फेल हुए - REET, RPSC, DSSSB, MP कक्षा 1 और 2 - इतनी परीक्षाओं में उनका सपना टूट गया। हर असफलता उनकी हिम्मत की परीक्षा लेती रही, लेकिन उनके सपनों को तोड़ नहीं पाई। शादी के बाद चुनौतियां बढ़ीं। पारिवारिक जिम्मेदारियां आईं, एक बेटा भी हुआ। लगातार असफलता ने उन्हें तोड़ दिया। आखिरकार 2019 में उन्होंने सरकारी नौकरी की उम्मीद छोड़ दी और प्राइवेट नौकरी करने लगे।


लालचंद की सरकारी नौकरी की उम्मीद खत्म हो गई थी, लेकिन उनके पिता का विश्वास अटूट था। उन्होंने अपने बेटे को फिर से प्रयास करने की सलाह दी। पिता की सलाह पर लालचंद ने फिर से पढ़ाई शुरू की, खुद को 6 महीने का समय दिया, परिवार से दूर रहे और कड़ी मेहनत की। आखिरकार मेहनत रंग लाई। दिसंबर 2024 में उन्होंने राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की संस्कृत शिक्षक भर्ती परीक्षा में 11वीं रैंक हासिल की और सरकारी नौकरी पाकर अपने संघर्ष को जीत में बदल दिया। आज वे राजस्थान के कोटा जिले के सहरावदा के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।


लालचंद कहते हैं कि कड़ी मेहनत और सही रणनीति से ही सफलता संभव है। उनके पास कुछ मंत्र भी हैं। जैसे केवल वही पढ़ें जो ज़रूरी है, अनावश्यक किताबों के जाल में न फंसें। अपनी सामग्री को बार-बार पढ़ें, रिवीजन पर ध्यान दें। पुराने पेपर और ऑब्जेक्टिव सवालों को हल करें। बहुत ज़्यादा ऑनलाइन कोर्स न खरीदें, बल्कि अपने बेसिक्स को मज़बूत करें। ऐसे पढ़ें जैसे कि यह आपकी आखिरी परीक्षा हो। 


लालचंद सुथार की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए सबक है जो एक या दो बार असफल होने के बाद हार मान लेते हैं। अगर आपमें जुनून है तो कोई भी बाधा आपको सफल होने से नहीं रोक सकती। उनकी कहानी साबित करती है कि सफलता उन्हीं को मिलती है जो बार-बार गिरकर भी फिर से उठते हैं और आगे बढ़ते हैं।

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