RJD MLA Ritlal Yadav:फिर से बेउर जेल का वही खंड बना विधायक रीतलाल यादव का ठिकाना जहां बिताए लगभग 10 साल का लम्बा अरसा!

N4N डेस्क:दानापुर के बाहुबली विधायक रीतलाल यादव ने दानापुर कोर्ट में खगौल थाना काण्ड सख्या 129/25 के तहत छोटे भाई और दो अन्य लोगों संग सरेंडर किया था। बता दें कि रीतलाल यादव और उनके सहयोगियों के खिलाफ फर्जी दस्तावेज बनाने, जबरन वसूली और बिल्डर को जान से मारने की धमकी देने के आरोप में शिकायत दर्ज कराई गई है, जिसे लेकर पुलिस और एसटीएफ ने बीते 11 अप्रैल को विधायक से जुड़े 11 ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस दौरान उनके ठिकानों से करीब 10.5 लाख रुपये, जमीन हड़पने के 14 दस्तावेज और एग्रीमेंट, 17 चेकबुक और पांच स्टांप, छह पेन ड्राइव और वॉकी-टॉकी बरामद किए थे. दरअसल रीतलाल यादव ने गुरुवार की सुबह 7 बजे के करीब दानापुर कोर्ट में सरेंडर किया. विधायक के साथ उनके भाई पिंकू यादव और सहयोगी चिक्कू यादव, श्रवण यादव और अन्य ने भी सरेंडर कर दिया. जिसके बाद सभी को बेउर जेल भेज दिया गया. बेउर जेल पहुचने पर दानापुर विधायक गोदावरी खंड में रखा गया. वही एहतियात अन्य तीन को अलग अलग वार्ड आवंटित कर दिया गया.
बेऊर जेल और रितलाल यादव
विदित हो किकेंद्रीय कारागार बेऊरकई सेक्टरों में बटा है. लेकिन एक दौर में जेल का गोदावरी खंडपटना जिला के एक बाहुबलीके नाम से जाना जाता था।रीतलाल यादव का आपराधिकरिकॉर्डकाफी बड़ा रहा है। साल 2003 में भाजपा नेता सत्यनारायण सिन्हा की हत्या के आरोप में वह चर्चा में आए थे। यह हत्या उसी दिन हुई थी, जब लालू यादव की गाँधी मैदान रैली आयोजित की गई थी। इस केस में उन्हें 2024 में निचली अदालत से बरी कर दिया गया, मगर सत्यनारायण सिन्हा की पत्नी और पूर्व विधायक आशा देवी ने पटना हाई कोर्ट में अपील दायर कर दी, जिसपर अब सुनवाई चल रही है। बख्तियारपुर में चलती ट्रेन में रेलवे ठेकेदारों की हत्या, छठ के दिन विरोधी चुन्नू सिंह की हत्या और अवैध बालू खनन जैसे कई गंभीर आरोपों में भी उनका नाम जुड़ चुका है। स्थानीय लोगों का मानना है कि सोन और गंगा नदी में बालू खनन पर भी इनका एकछत्र राज रहा है और क्षेत्र में बिना इनकी मर्जी कोई बड़ा काम नहीं हो सकता। राजनीतिक करियर की बात करें तो रीतलाल यादव ने जेल में रहते हुए 2016 में एमएलसी का चुनाव जीता था, फिर 2020 में दानापुर से विधायक बने। 2010 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने सरेंडर किया था ताकि जेल से ही चुनाव लड़ सकें। उस समय उनकी हार हुई थी, लेकिन 2020 में उन्होंने आशा देवी को हराकर जीत हासिल की। फिलहाल पुलिस जाँच जारी है और हाई कोर्ट में कई मामलों की सुनवाई लंबित है। विदित हो की रितलाल का सियासी सफ़र और सफलताओं की शुरुआत बेउर जेल से ही हुई है.
बिताए लगभग 10 साल का लम्बा अरसा
वर्त्तमान में रंगदारी सह धमकी काण्ड में नामित होकर लगभग 4 साल 8 माह बाद फिर से बेऊर जेल पहुचे विधायक दानापुर पर बता दें कि बिल्डर कुमार गौरव और राकेश कुमार ने पुलिस के समक्ष पहुचकर एफआईआर दर्ज कराई थी. राकेश गौरव के पार्टनर हैं. उन्होंने बताया कि रीतलाल यादव ने खुद बुलाकर 50 लाख रुपये मांगे थे. हालांकि समझौता 30 लाख पर हुआ और उसे 14 लाख रुपये दे भी दिया था. बिल्डर ने बताया कि विधायक अपने ही लोगों से कंस्ट्रक्शन मैटेरियल खरीदने का दबाव बनाता था, जिसके बाद 19 लाख का सामान देकर 33 लाख मांगा जाता था. कॉन्ट्रैक्टर विश्वनाथ सिंह की जमीन हमनें ली, उसके बारे मेे कहा गया कि उसको गोली हमलोगों ने ही मारी थी, फिर तुमने जमीन कैसे खरीद ली. वो जमीन हमारी होगी. विदित हो कि रीतलाल वर्ष 2010 में लम्बी फरारी के बाद केन्द्रीय कारगार पहुचे थे और लगभग कुछ माह भागलपुर जेल ट्रान्सफर के अलावे लगभग दस साल तक लगातार विभिन्न कांडों में न्यायिक हिरासत में बेऊर जेल के गोदावरी खंड में बंद रहे थे.