Serial Killer Doctor: डॉक्टर डेथ, अपराध की दुनिया का खौफनाक चेहरा, पैरोल से फरारी तक की कहानी
Serial Killer Doctor: 'डॉक्टर डेथ' के नाम से कुख्यात सीरियल किलर और अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का मास्टरमाइंड देवेंद्र शर्मा एक बार फिर सुर्खियों में है।

Serial Killer Doctor: 'डॉक्टर डेथ' के नाम से कुख्यात सीरियल किलर और अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का मास्टरमाइंड देवेंद्र शर्मा एक बार फिर सुर्खियों में है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने उसे राजस्थान के दौसा जिले में एक आश्रम से गिरफ्तार किया, जहां वह पुजारी के भेष में छिपा हुआ था। 67 वर्षीय देवेंद्र शर्मा की कहानी किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं है। उसने 125 से अधिक लोगों की किडनी अवैध रूप से निकालकर बेची, 50 से ज्यादा हत्याएं कीं, और शवों को उत्तर प्रदेश के कासगंज की हजारा नहर में मगरमच्छों के हवाले कर सबूत मिटाने की कोशिश की। सात मामलों में उम्रकैद और एक मामले में फांसी की सजा पाने के बावजूद, उसे दो बार पैरोल मिली, और दोनों ही बार वह जेल वापस न लौटकर फरार हो गया।
आयुर्वेदिक डॉक्टर से अपराधी बनने की कहानी
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के छर्रा क्षेत्र के गांव पुरैनी का रहने वाला देवेंद्र शर्मा ने बिहार के एक कॉलेज से बीएएमएस (आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) की डिग्री हासिल की। 1984 में उसने राजस्थान के बांदीकुई में 'जनता क्लिनिक' खोला और करीब 11 साल तक आयुर्वेदिक चिकित्सा की प्रैक्टिस की। लेकिन 1994 में एक गैस एजेंसी डीलरशिप के नाम पर 11 लाख रुपये की ठगी का शिकार होने के बाद उसका जीवन अपराध की राह पर मुड़ गया। आर्थिक नुकसान से उबरने के लिए उसने पहले फर्जी गैस एजेंसी बनाई और ट्रकों की लूट शुरू की। इसके बाद वह अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट में शामिल हो गया।
किडनी रैकेट: 125 से ज्यादा अवैध ट्रांसप्लांट
1998 से 2004 के बीच, देवेंद्र शर्मा ने दिल्ली, हरियाणा, और राजस्थान में एक बड़े अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का संचालन किया। उसने डॉक्टर अमित जैसे बिचौलियों के साथ मिलकर गरीब और मजबूर लोगों को लालच देकर उनकी किडनी निकाली। पुलिस के अनुसार, उसने 125 से अधिक अवैध किडनी ट्रांसप्लांट कराए, जिनमें से प्रत्येक के लिए उसे 5 से 7 लाख रुपये मिलते थे। इस रैकेट में कई डॉक्टर और बिचौलिए शामिल थे, और इसका नेटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ था।
सीरियल किलिंग: मगरमच्छों को शव खिलाने की क्रूरता
देवेंद्र शर्मा की क्रूरता यहीं नहीं रुकी। उसने टैक्सी और ट्रक चालकों को निशाना बनाकर एक खौफनाक हत्या का सिलसिला शुरू किया। वह फर्जी सवारी बनकर टैक्सी बुक करता, ड्राइवर को सुनसान जगह ले जाकर गला घोंटकर हत्या कर देता, और फिर शव को कासगंज की हजारा नहर में फेंक देता, जहां मगरमच्छ शवों को खा जाते थे। इस तरह वह सबूत मिटाने में कामयाब रहता था। उसने पुलिस पूछताछ में कबूल किया कि उसने 50 से ज्यादा हत्याएं कीं, और इतनी हत्याओं के बाद उसने गिनती करना ही छोड़ दिया। हालांकि, कुछ स्रोतों का दावा है कि उसने 100 से अधिक हत्याएं कीं, लेकिन शव न मिलने के कारण पुलिस कई मामलों में सबूत जुटा नहीं पाई।
कानूनी सजा और पैरोल से फरारी
2004 में गुरुग्राम पुलिस ने देवेंद्र शर्मा को किडनी रैकेट और हत्याओं के आरोप में गिरफ्तार किया। उसके खिलाफ दिल्ली, राजस्थान, और हरियाणा में 27 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, अपहरण, और लूट शामिल हैं। सात हत्या के मामलों में उसे उम्रकैद की सजा मिली, जबकि गुरुग्राम की एक अदालत ने एक मामले में फांसी की सजा सुनाई। इसके बावजूद, उसे 2020 में 20 दिन की पैरोल मिली, लेकिन वह सात महीने तक फरार रहा और बाद में दिल्ली के बापरोला इलाके से पकड़ा गया। जून 2023 में उसे दो महीने की पैरोल दी गई, लेकिन वह फिर से जेल नहीं लौटा और राजस्थान के दौसा में एक आश्रम में पुजारी बनकर छिप गया।
पुजारी के भेष में फरारी और गिरफ्तारी
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पैरोल जंपरों को पकड़ने के लिए विशेष अभियान शुरू किया। इंस्पेक्टर राकेश कुमार और उनकी टीम ने छह महीने तक अलीगढ़, जयपुर, दिल्ली, आगरा, और प्रयागराज में छानबीन की। अंततः, पुलिस को पता चला कि देवेंद्र का मोबाइल दौसा में रिचार्ज हुआ था। एक जवान ने मरीज बनकर आश्रम में उससे संपर्क किया, और उसकी पहचान पक्की होने पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के समय वह प्रवचन दे रहा था। उसने कबूल किया कि वह जेल नहीं लौटना चाहता था, इसलिए साधु का भेष धारण किया।