बिहार में सीओ और डॉटा ऑपरेटर मिलकर कर रहे थे खेला, निगरानी की टीम ने पकड़ लिया, उठा ले गई
Bihar Nigrani Arrested CO: जबरदस्त छापेमारी में अंचलाधिकारी और डाटा इंट्री ऑपरेटर को दो लाख रुपए की घूस लेते गिरफ्तार किया गया। कार्रवाई के बाद इलाके में हड़कंप मच गया है।...

Bihar Nigrani Arrested CO:भ्रष्टाचार के गढ़ को निगरानी विभाग ने धराशायी कर दिया। मंगलवार को बेगूसराय के डंडारी प्रखंड कार्यालय में हुई जबरदस्त छापेमारी में अंचलाधिकारी (सीओ) राजीव कुमार और डाटा इंट्री ऑपरेटर कुंदन कुमार को दो लाख रुपए की घूस लेते गिरफ्तार किया गया। कार्रवाई के बाद इलाके में हड़कंप मच गया है।
पीड़ित विजय कुमार चौरसिया ने निगरानी विभाग को शिकायत दी थी कि वह और उसके भाई अपनी-अपनी जमीन का बंटवारा कर जमाबंदी कायम करना चाहते हैं। लेकिन इसके एवज में सीओ राजीव कुमार ने तीन लाख रुपए रिश्वत की मांग की। काफी माथापच्ची के बाद डील दो लाख में फाइनल हुई। शिकायत की पुष्टि होने पर निगरानी थाना में मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू हुई।निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने जाल बिछाया और डंडारी अंचल कार्यालय में छापेमारी कर डाटा ऑपरेटर कुंदन कुमार को कैश के साथ पकड़ लिया। इसके बाद सीओ राजीव कुमार को भी गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों को कड़ी सुरक्षा में ले जाया गया।
गिरफ्तारी के बाद सीओ राजीव कुमार ने खुद का एक वीडियो वायरल कर भ्रष्टाचार के आरोपों को सिरे से खारिज किया। उनका कहना है कि मैं पंचायत समिति की बैठक में मौजूद था। न मैंने रिश्वत मांगी, न पैसे छुए। मुझे फंसाने की साजिश की जा रही है।
वहीं, जब निगरानी टीम सीओ को गिरफ्तार करने पहुंची तो प्रखंड प्रमुख तनवीर अहमद और कई सदस्यों ने विरोध शुरू कर दिया। माहौल तनावपूर्ण होते देख निगरानी टीम ने बलिया डीएसपी और वरीय अधिकारियों को सूचना दी। इसके बाद एसडीओ तरणिजा, डीएसपी साक्षी कुमारी, बलिया और साहेबपुरकमाल थानाध्यक्ष समेत भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचा। स्थिति को काबू करने के बाद दोनों आरोपियों को निगरानी टीम अपने साथ ले गई।
यह कार्रवाई बेगूसराय में जमाबंदी और भूमि विवाद के नाम पर चल रहे घूसखोरी के खेल को उजागर करती है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सीओ वास्तव में फंसे गए, या खेल और गहरा है?भूमि विवाद सुलझाने के नाम पर कब तक चलेगा रिश्वतखोरी का धंधा?
फिलहाल निगरानी विभाग की गिरफ्त में आए दोनों अधिकारी अब कानून के शिकंजे में हैं। यह मामला बेगूसराय में भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।