Strange love: अजब मोहब्बत की गजब वारदात, शादी से पहले युवती अपने नाबालिग चाचा संग हुई फरार, थाना प्रभारी ने तीन दिन तक नहीं सुनी शिकायत
युवती की अगले महीने शादी तय थी। घर में तैयारियों का दौर चल रहा था निमंत्रण, आना-जाना, रिश्तेदारों की बातचीत… सब कुछ सामान्य था। लेकिन इसी बीच सबको चौंकाते हुए...
Strange love: मुज़फ्फरपुर के पूर्वी इलाके से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने गांव से लेकर जिले तक सनसनी फैला दी है। शादी के चंद दिन पहले एक युवती अपने ही नाबालिग चाचा के साथ घर से फरार हो गई। घटना के उजागर होते ही परिवार में कोहराम मच गया न किसी को यक़ीन हो रहा, न कोई इस ‘अजब प्यार की गजब कहानी’ को समझ पा रहा है।
मामला जिले के एक थाना क्षेत्र का है, जहां युवती की अगले महीने शादी तय थी। घर में तैयारियों का दौर चल रहा था निमंत्रण, आना-जाना, रिश्तेदारों की बातचीत… सब कुछ सामान्य था। लेकिन इसी बीच सबको चौंकाते हुए युवती ने ऐसा कदम उठा लिया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। वह रिश्ते में लगने वाले अपने नाबालिग चाचा के साथ घर छोड़कर रातों-रात गायब हो गई।
जैसे ही युवती के परिजनों को इसकी जानकारी मिली, घर में हड़कंप मच गया। परिजनों ने पहले अपने स्तर पर तलाश शुरू की—रिश्तेदार, पड़ोसी, दोस्तों से पूछताछ, आस-पास के इलाकों की छानबीन… लेकिन युवती और उसके साथ गए लड़के का कोई सुराग नहीं मिला।थक-हार कर परिवार ने पूरे मामले की लिखित शिकायत थाने में सौंप दी। लेकिन यहीं से एक और हैरान करने वाला मोड़ सामने आया। शिकायत दिए तीन दिन बीत जाने के बाद भी थाना प्रभारी ने न तो FIR दर्ज की, न कोई ठोस कार्रवाई शुरू की। परिजनों को सिर्फ जांच चल रही है कहकर टालते रहे।
पीड़ित परिवार का आरोप है कि वे प्रतिदिन थाने के चक्कर लगा रहे थे, लेकिन थाना प्रभारी ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। आखिरकार, निराश होकर उन्होंने वरीय अधिकारियों से संपर्क किया है ताकि FIR दर्ज हो सके और युवती की सुरक्षित बरामदगी हो।
वहीं, जब मीडिया द्वारा थाना प्रभारी के सरकारी नंबर पर कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन उठाना भी उचित नहीं समझा।
घटना ने एक बार फिर पुलिस की संवेदनशीलता और कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं कि शादी से पहले युवती का नाबालिग चाचा संग फरार होना सामाजिक रूप से चौंकाने वाला है, लेकिन उससे भी बड़ा सवाल यह है कि परिजन न्याय के लिए किसके दरवाज़े जाएँ, जब थाना ही चुप बैठा है?
रिपोर्ट- मणिभूषण शर्मा