झाड़ी में रोता मिला नवजात, कलयुगी मां ने जन्म के तुरंत बाद फेंका बच्चा, ममता हुई शर्मसार
Bihar Crime: माँ शब्द जब बोला जाता है, तो उसमें ममता, त्याग और सुरक्षा की छवि उभरती है, लेकिन एक माँ ने इंसानियत को झकझोर देने वाला काम किया है। ...

Bihar Crime: माँ शब्द जब बोला जाता है, तो उसमें ममता, त्याग और सुरक्षा की छवि उभरती है, लेकिन मुजफ्फरपुर जिले के मोतीपुर में एक माँ ने इंसानियत को झकझोर देने वाला काम किया है। मोतीपुर बाजार के शशि बाबू चौक से ब्लॉक जाने वाली सड़क के पास झाड़ियों में एक नवजात बच्चा पड़ा मिला, जिसे एक महिला ने रोते हुए देखा और तत्काल मानवता का परिचय देते हुए उसे उठाकर मोतीपुर स्वास्थ्य केंद्र पहुँचाया।
एक महिला जब झाड़ियों के पास से गुजर रही थी, तो उसे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। पहले तो उसे भ्रम हुआ, लेकिन आवाज बार-बार आने पर उसने झांककर देखा, तो झाड़ियों के बीच एक नवजात शिशु लिपटा पड़ा था।
महिला ने फौरन बच्चे को उठाया और मोतीपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। वहां से प्राथमिक उपचार के बाद बच्चे को मुजफ्फरपुर के एक बड़े अस्पताल रेफर किया गया, जहां फिलहाल उसका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक, बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है।घटना की सूचना मिलते ही मोतीपुर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और बच्चे को अपनी कस्टडी में लेकर चाइल्ड केयर यूनिट को सौंप दिया।
पुलिस ने कहा है कि इलाके की सीसीटीवी फुटेज खंगाली जा रही है और उस 'कलयुगी मां' की पहचान करने की कोशिश जारी है, जिसने अपनी ही संतान को झाड़ियों में फेंक दिया।
घटना के बाद से मोतीपुर बाजार और आसपास के क्षेत्र में चर्चाओं का दौर जारी है। कोई इसे प्रेम प्रसंग का नतीजा बता रहा है तो कोई इसे सामाजिक दबाव का असर।
हालांकि जो भी कारण रहा हो, सवाल यही है कि क्या कोई मां अपने जिगर के टुकड़े को ऐसे झाड़ियों में मरने के लिए छोड़ सकती है? क्या झाड़ियों में बच्चा फेंकने वाली मां की पहचान की जाएगी?क्या उसे कानून के दायरे में लाया जाएगा या मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा? क्या सामाजिक स्तर पर हमें ऐसी घटनाओं पर आत्ममंथन नहीं करना चाहिए?
इस पूरे मामले में अगर कोई सच्ची नायिका है, तो वह वही महिला है जिसने आवाज सुनकर बच्चे को अनदेखा नहीं किया। उसकी सतर्कता और संवेदनशीलता ने एक मासूम जान की रक्षा की।
रिपोर्ट-मणिभूषण शर्मा