आधार में सेंध, बिहार से लेकर राजस्थान तक साइबर गिरोह का डेटा गैंगवार बेनक़ाब, ईओयू की जांच से हुए चौंकाने वाले खुलासे
डिजिटल इंडिया के दौर में जब आम आदमी का ‘आधार’ ही उसकी पहचान है, उस पहचान पर हुआ हमला किसी डिजिटल डकैती से कम नहीं।...

Bihar Cyber Fraud: भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की ‘आधार प्रणाली’ को हाईजैक करने का खेल अब क्राइम वर्ल्ड की सबसे खतरनाक साइबर साज़िश बन चुका है। मधेपुरा, बिहार की सरज़मीं से ऑपरेट करने वाले साइबर ठगों ने राजस्थान के अधिकृत आधार ऑपरेटरों की मिलीभगत से बायोमेट्रिक डाटा की तिजोरी तोड़ डाली।
आर्थिक अपराध इकाई की छापेमारी में सामने आया कि इस नेटवर्क ने “साइबर मंडी” खड़ी कर दी थी, जहां चोरी किए गए बायोमेट्रिक डाटा को 39 फर्जी वेबसाइटों पर सुरक्षित ठिकाना मिल चुका था। हर वेबसाइट का अपना एडमिन, हर डोमेन लेकिन कंट्रोल रूम वही, मधेपुरा का कॉमन सर्विस सेंटर, जहां बैठा था मास्टरमाइंड रामप्रवेश।
रामप्रवेश ने गूगल और यूट्यूब से सीखा फर्जीवाड़े का फ़न, एक विक्रेता से खरीदा UCL सोर्स कोड और फिर रचा आयुष्मान डॉट साइट, UCL नेहा, UCL आधार जैसी नकली वेबसाइटों का जाल। इन पोर्टलों से न सिर्फ़ डाटा चुराया गया बल्कि उसे बेचकर फर्जी दस्तावेज़ों की फ़ैक्ट्री भी चलाई गई।
जांच में खुलासा हुआ कि राजस्थान के 40 से ज़्यादा ऑपरेटरों का नकली सिलिकॉन फिंगरप्रिंट तैयार किया गया, जिन्हें पटना से चल रहे अवैध सॉफ़्टवेयर (ECMP) पर इस्तेमाल किया गया। यह साफ़ दिखाता है कि गिरोह और ऑपरेटरों की गठजोड़ कितनी गहरी थी।
आर्थिक अपराध इकाई की तफ़्तीश में पता चला कि पूरा नेटवर्क किसी क्राइम सिंडिकेट की तरह काम कर रहा था—डेटा की चोरी, वेबसाइट का प्रबंधन, नकली सॉफ़्टवेयर की इंस्टॉलेशन, और बायोमेट्रिक की तिज़ारत। हर कड़ी मज़बूती से जुड़ी थी और हर खिलाड़ी की अपनी भूमिका।
अधिकारियों का कहना है कि यह सिर्फ़ बिहार या राजस्थान का मामला नहीं है। यह इंटर-स्टेट साइबर माफ़िया का नया चेहरा है, जिसकी जड़ें दूसरे राज्यों तक फैली हुई हैं। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण को भेजे गए पत्र से अब 40 से ज़्यादा संदिग्ध ऑपरेटरों की पड़ताल होगी।
डिजिटल इंडिया के दौर में जब आम आदमी का ‘आधार’ ही उसकी पहचान है, उस पहचान पर हुआ यह हमला किसी डिजिटल डकैती से कम नहीं।