Bihar News: पटना में मर्डर की बाढ़ और पुलिस की लापरवाही, 5 थानेदार लाइन हाजिर, 22 अफसरों की तैनाती से SSP ने फूंका एक्शन का बिगुल

Bihar News: बिहार की राजधानी इन दिनों कानून व्यवस्था की नब्ज़ पर उठते सवालों से कांप रही है। 18 दिनों में 14 मर्डर, और उसी अवधि में 11 पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई साफ है कि अपराधी बेखौफ़ हैं और पुलिस बेबस! ..

 Bihar News: पटना में मर्डर की बाढ़ और पुलिस की लापरवाही, 5
5 थानेदार लाइन हाजिर, 22 अफसरों की तैनाती - फोटो : social Media

Bihar News: बिहार की राजधानी इन दिनों कानून व्यवस्था की नब्ज़ पर उठते सवालों से कांप रही है। 18 दिनों में 14 मर्डर, और उसी अवधि में 11 पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई साफ है कि अपराधी बेखौफ़ हैं और पुलिस बेबस! अब दो हाई-प्रोफाइल मर्डर बिजनेसमैन गोपाल खेमका और गैंगस्टर चंदन मिश्रा की सनसनीखेज हत्याओं के बाद राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था कटघरे में है।

पटना के एसएसपी कार्तिकेय शर्मा ने हालात को नियंत्रण में लाने के लिए बड़ा प्रशासनिक कदम उठाया है। सुल्तानगंज, पीरबहोर, कंकड़बाग, बेऊर और चौक इन पाँच थानों के थानेदारों को लाइन हाजिर कर दिया गया है। इनमें शामिल हैं:पीरबहोर: अब्दुल हलीम,कंकड़बाग: मुकेश कुमार,सुल्तानगंज: मनोज कुमार,चौक: दुष्यंत कुमार,बेऊर: अमरेंद्र कुमार,

 मौत का सिलसिला जारी रहा 4 जुलाई को  कारोबारी गोपाल खेमका की हत्या, शूटर से 4 लाख में डील, 50 हजार एडवांस तो 14 जुलाई को पारस अस्पताल में ICU के भीतर घुसकर चंदन मिश्रा की हत्या, 5 अपराधी हॉस्पिटल में घुसते हैं, गोली मारते हैं, फरार हो जाते हैं।

16 जुलाई को  गांधी मैदान के थानेदार राजेश कुमार को सस्पेंड कर दिया गया। उनपर आरोप  2 घंटे देरी से पहुंचने का आरोप था। कानून व्यवस्था की बिगड़ी स्थिति को संभालने के लिए 7 DSP हटाए गए, जिनमें लॉ एंड ऑर्डर के प्रकाश कुमार भी शामिल हैं, जिनके इलाके में खेमका हत्याकांड हुआ।

अपराधियों पर नकेल कसने के लिए 22 DSP की पटना में नई पोस्टिंग की गई वहीं  55 DSP का तबादला कर दिया गया। CID ASP  आलोक कुमार सिंह को बनया गया तो  सुधीर कुमार को पटना ट्रैफिक की कमान दी गई।

इसके अलावा 11 थानेदार, जो दूसरे जिलों से विशेष रूप से बुलाए गए हैं, अब SSP के आदेश की प्रतीक्षा में हैं। इन्हें अपराध नियंत्रण और पटना में “लॉ एंड ऑर्डर” को मज़बूत करने की जिम्मेदारी दी जाएगी।अब सवाल ये है कि क्या सिर्फ़ ट्रांसफर और लाइन हाजिरी से पटना की सड़कों पर बिखरे खून के धब्बे धुल जाएंगे? या फिर ज़रूरत है सिस्टम के दिल में उतर कर इलाज की?

पटना की आवाम जवाब मांग रही है, और इस बार सिर्फ़ तबादलों से नहीं, नतीजों से भरोसा लौटेगा।