Bihar Crime: 6 लाख के लालच में फंसा गरीब रिक्शा चालक, साइबर ठगों ने बेवकूफ बना कर लूटे रुपए

Bihar Crime: बिहार में साइबर अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, ठग अक्सर प्रधानमंत्री आवास योजना, पीएम किसान योजना, या अन्य सरकारी योजनाओं के नाम पर फर्जी कॉल और व्हाट्सएप मैसेज भेजकर लोगों को ठगते हैं।

Bihar Crime: 6 लाख के लालच में फंसा गरीब रिक्शा चालक, साइबर
साइबर ठगों ने बेवकूफ बना कर लूटे रुपए- फोटो : reporter

Bihar Crime: खगड़िया जिले के तेमथा राका गांव में एक गरीब ई-रिक्शा चालक चंदन कुमार और उनकी पत्नी निशा कुमारी गुप्ता साइबर ठगी का शिकार हो गए। प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर 6 लाख रुपये का लालच देकर ठगों ने निशा से ₹60,000 लूट लिए, जिसने उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया। इस घटना ने न केवल चंदन के परिवार को आर्थिक संकट में डाल दिया, बल्कि साइबर अपराध के बढ़ते खतरे और जागरूकता की कमी को भी उजागर किया है।

लालच का जाल: कैसे हुई ठगी

चंदन कुमार, जो ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं, ने बताया कि उनकी पत्नी निशा को एक अज्ञात नंबर से फोन आया। कॉल करने वाले ने खुद को प्रधानमंत्री आवास योजना का अधिकारी बताते हुए कहा कि निशा को योजना के तहत पहला इंस्टॉलमेंट मिला है। उसने दावा किया कि यदि निशा ₹6,000 का भुगतान करती हैं, तो उनके खाते में 6 लाख रुपये घर बनाने के लिए जमा कर दिए जाएंगे। लालच में फंसकर निशा ने धीरे-धीरे ठग के बताए खाते में ₹60,000 ट्रांसफर कर दिए।

चंदन ने बताया, "कुछ दिन पहले ही हमें प्रधानमंत्री आवास योजना का पहला इंस्टॉलमेंट मिला था। मैंने अपनी पत्नी को फोन पे चलाना सिखाया था, लेकिन मुझे क्या पता था कि यह सीख इतनी भारी पड़ेगी।" जब निशा को ठगी का अहसास हुआ, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसने तुरंत अपने पति को सूचित किया, लेकिन तब तक उनके बैंक खाते से ₹60,000 गायब हो चुके थे।

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खाली हुआ बैंक खाता: टूटे सपने

चंदन ने बताया कि ₹60,000 की राशि उनके लिए बहुत मायने रखती थी। इसमें से ₹40,000 प्रधानमंत्री आवास योजना के पहले इंस्टॉलमेंट के रूप में मिले थे, जबकि ₹20,000 उन्होंने ई-रिक्शा चलाकर कड़ी मेहनत से जोड़े थे। चंदन ने दुखी मन से कहा, "मेरी पत्नी का लालच और मेरे ₹60,000 का नुकसान मुझे बर्बाद करने के लिए काफी है। अब मेरा घर कैसे बनेगा?" इस ठगी ने उनके घर बनाने के सपने को अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया है।

ठगी की सूचना मिलने पर चंदन ने परबत्ता थाने में शिकायत दर्ज करने की कोशिश की, लेकिन थाने ने उन्हें साइबर थाने में आवेदन देने की सलाह दी। यह घटना साइबर अपराधों के प्रति स्थानीय पुलिस की सीमित तैयारी और जागरूकता की कमी को भी दर्शाती है। साइबर थाने में शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन चंदन को अपनी मेहनत की कमाई वापस मिलने की उम्मीद कम ही नजर आ रही है।

यह मामला साइबर ठगी के उन तमाम उदाहरणों में से एक है, जो सरकारी योजनाओं के नाम पर भोले-भाले लोगों को निशाना बनाते हैं। हाल के वर्षों में, बिहार में साइबर अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, ठग अक्सर प्रधानमंत्री आवास योजना, पीएम किसान योजना, या अन्य सरकारी योजनाओं के नाम पर फर्जी कॉल और व्हाट्सएप मैसेज भेजकर लोगों को ठगते हैं।

रिपोर्ट- अमित कुमार