Illegal Relationship:आपत्तिजनक हालत में पकड़ी गई पत्नी , धो दिया सिंदूर और...इश्क के नाम पर रिश्तों का शर्मसार अफसाना
प्रेम का एक ऐसा ही बेहूदा तमाशा सामने आया। पति ने पत्नी को प्रेमी के साथ आपत्तिजनक हालत में पकड़ा। क्रोध में आकर पहले पत्नी की मांग का सिंदूर धोया और फिर ...

Illegal Relationship:कभी प्रेम मीरा की भक्ति था, कभी लैला-मजनूं की रूहानी तड़प मगर आज प्रेम वीडियो के व्यूज और वायरल तमाशे में तब्दील हो गया है। समाज न प्रेम को समझता है, न पीड़ा को बस तमाशा देखता है और तालियाँ बजाता है मोबाइल हाथ में लिए, 'रिल' के रूप में रिश्तों की चिता सजाता है।
सहरसा के बैजनाथपुर में प्रेम का एक ऐसा ही बेहूदा तमाशा सामने आया। पति ने पत्नी को प्रेमी के साथ आपत्तिजनक हालत में पकड़ा। क्रोध में आकर पहले पत्नी की मांग का सिंदूर धोया और फिर हाँ, भीड़ के सामने उसी प्रेमी से सिंदूर भरवाकर विवाह रचवा दिया!यह कौन-सी मर्यादा है जहाँ प्रेमी जोड़े की बेइज्जती को न्याय समझा जा रहा है और समाज तमाशबीन बनकर मोबाइली अदालत चला रहा है?
दुखद यह नहीं कि स्त्री ने अपने पति को धोखा दिया। दुखद यह है कि उसकी अस्मिता, उसकी पीड़ा, उसकी विवशता सबको इंटरनेट के समंदर में डुबो दिया गया।
विडंबना देखिए प्रेमी से विवाह हुआ, मगर कुछ घंटों में महिला फिर पति के पास लौटा दी गई। तो क्या ये विवाह नहीं, सिर्फ समाज की भूख मिटाने का तमाशा था?
कभी प्रेम राधा-कृष्ण की लीला था, कभी हीर-रांझा की तपिश। वह भाव था, अनुभूति थी, समर्पण था। लेकिन अब? अब प्रेम वायरल कंटेंट है, और समाज उसका यूज़र इंटरफेस।सहरसा की घटना कोई अपवाद नहीं, बल्कि नई सामाजिक प्रवृत्ति का क्रूर प्रदर्शन है। पति ने पत्नी को पकड़ा और समाज ने इंसाफ़ की तलवार नहीं, कैमरे की फ़्लैश चमकाई। वीडियो बना, ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ बना, और कुछ घंटों में नारी की अस्मिता ट्रेंडिंग हो गई।कोई पूछे उस स्त्री से, क्या उसने प्रेम किया, या समाज की हिंसा में खुद को भुला बैठी? क्या वह अपराधिनी थी, या फिर समाज के मोरल पुलिसिंग का शिकार?
विडंबना देखिए जिस भीड़ ने विवाह कराया, उसी ने उसी दिन उस विवाह को ख़त्म भी कर दिया। यह क्या था? इंसाफ़? न्याय? संस्कार? नहीं, यह महज़ ‘व्यूज़ की भूख’ थी, एक डिजिटल दरबार, जिसमें हर कोई जज है, जल्लाद है और वीडियो एडिटर भी।