मिथिला और कोसी को जोड़ने वाली दरभंगा बाइपास रेल लाइन पर नवरात्र के पावन अवसर पर ट्रेनों का परिचालन शुरू कर दिया गया है, जिससे न केवल कोसी और दरभंगा-मधुबनी की दूरी घटेगी, बल्कि क्षेत्र में वाणिज्यिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। समस्तीपुर मंडल में काकरघाटी से शीशो स्टेशनों के बीच नवनिर्मित इस रेल लाइन पर शुरुआत में केवल मालगाड़ियों का परिचालन होगा। बाद में यात्री ट्रेनों का परिचालन भी शुरू किया जाएगा, जिससे क्षेत्र के लोगों को आवागमन की सुविधा में बड़ा लाभ मिलेगा। दरभंगा बाइपास लाइन के बन जाने से रक्सौल, जयनगर, सीतामढ़ी और नरकटियागंज जाने के लिए अब ट्रेनों को दरभंगा होकर नहीं जाना पड़ेगा। नई बाइपास लाइन से अब सरायगढ़ से निर्मली और झंझारपुर होते हुए ट्रेनें सीधे जयनगर, नरकटियागंज, और सीतामढ़ी की ओर निकल सकेंगी, जिससे दरभंगा स्टेशन पर ट्रेनों की भीड़ कम होगी और यात्रा सुगम हो जाएगी। इस बाइपास से विशेष रूप से कोसी और मिथिला के बीच की दूरी घट जाएगी, जिससे यात्रियों के साथ-साथ व्यापारियों को भी फायदा होगा।
इस परियोजना का उद्देश्य सिर्फ यात्रियों को ही सुविधा देना नहीं है, बल्कि क्षेत्र में व्यापारिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देना है। 9.48 किमी लंबी इस दरभंगा बाइपास रेल लाइन की कुल अनुमानित लागत 253 करोड़ रुपये है। इसके जरिए माल ढुलाई की प्रक्रियाएं सुगम होंगी और व्यापारिक सामान जल्दी से अपनी मंजिल तक पहुंच सकेंगे। दरभंगा और मधुबनी जैसे व्यावसायिक केंद्रों से मालगाड़ियां अब तेजी से कोसी क्षेत्र तक पहुंचेंगी, जिससे उद्योगों को बड़ा लाभ होगा। मिथिला और कमला-बाग्मती क्षेत्र के बीच की दूरी कम होने से नेपाल और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए एक वैकल्पिक मार्ग बन गया है। मालगाड़ियां पूर्णिया, फारबिसगंज, सहरसा, सरायगढ़ और निर्मली के रास्ते से होकर नेपाल और उत्तर रेलवे को भी जोड़ सकेंगी, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में वाणिज्यिक संबंध और मजबूत होंगे। रेल अधिकारियों का मानना है कि इस परियोजना से क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहन मिलेगा और इससे नए व्यापारिक अवसर पैदा होंगे।
दरभंगा बाइपास लाइन के शुरू होने से यहां के व्यापारियों को अपनी वस्तुओं को बाजार तक पहुंचाने में आसानी होगी। इससे दरभंगा, मधुबनी, और आसपास के इलाकों में व्यवसायों की रफ्तार बढ़ेगी। रेलवे के अनुसार, इस बाइपास रेल लाइन के शुरू होने से व्यावसायिक सामग्री की तेज आवाजाही सुनिश्चित की जाएगी, जिससे स्थानीय उद्योगों को काफी लाभ होगा।
वर्तमान में सहरसा से जयनगर जाने के लिए केवल एक ट्रेन, जानकी एक्सप्रेस, उपलब्ध है, जो समस्तीपुर और दरभंगा होते हुए जयनगर तक जाती है। इस बाइपास लाइन के शुरू होने से उम्मीद जताई जा रही है कि सहरसा से जयनगर, नरकटियागंज, रक्सौल, बेतिया और सीतामढ़ी की तरफ नई ट्रेन सेवाएं शुरू हो सकती हैं। सहरसा से निर्मली और झंझारपुर के रास्ते नरकटियागंज तक इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन चलाने का प्रस्ताव भी पहले से लंबित है, जिसे इस बाइपास लाइन के माध्यम से साकार किया जा सकता है। हालांकि फिलहाल इस बाइपास लाइन पर केवल मालगाड़ियों का परिचालन किया जा रहा है, लेकिन रेल अधिकारियों का कहना है कि धीरे-धीरे इस रूट पर पैसेंजर और मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों का भी परिचालन शुरू किया जाएगा। इससे क्षेत्र के लोगों को यात्रा में बड़ी राहत मिलेगी और समय की भी बचत होगी। इस नयी परियोजना के साथ, मिथिला का एक और खंड जुड़ गया है, जो इस क्षेत्र की वाणिज्यिक और सामाजिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा