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नरसिम्हा राव की खोज? आर्थिक सलाहकार से प्रधानमंत्री तक का सफर, पत्थर की लकीर साबित हुए मनमोहन सिंह के फैसले

मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण के माध्यम से संकट में फंसी अर्थव्यवस्था का समाधान किया और भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजार से जोड़ा।

Manmohan Singh condolence
आर्थिक सलाहकार से प्रधानमंत्री तक का सफर- फोटो : Social Media

Manmohan Singh condolence:  भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया है। उन्होंने 92 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह  दिया। मनमोहन सिंह को उनके प्रभावशाली राजनीतिक करियर और देश में कई आर्थिक सुधारों के लिए जाना जाता है। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी थी और उनके कई निर्णय देश के लिए लाभकारी सिद्ध हुए। साल 1991..महीना जून ...यूजीसी दिल्ली  के दफ्तर में फोन की घंटी घनघनाती है। फोन करने वाला कोई और नहीं , प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव...अचानक यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के कार्यालय में हलचल मच गई। नरसिम्हा राव ने डॉ. मनमोहन सिंह से बात करने की इच्छा जताई। कुछ ही मिनटों में डॉ. मनमोहन सिंह फोन पर उपस्थित हो गए। पीएम नरसिम्हा राव ने कहा कि मैं आपको अपना वित्त मंत्री बनाना चाहता हूं, कृपया तैयार होकर राष्ट्रपति भवन आइए। मनमोहन सिंह का राजनीतिक करियर इस प्रकार प्रारंभ हुआ और वे देश के वित्त मंत्री बने। इसके बाद, उन्होंने आर्थिक उदारीकरण के माध्यम से संकट में फंसी अर्थव्यवस्था का समाधान किया और भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजार से जोड़ा।

मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री बनने से पहले कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। उन्होंने 1972 में वित्त मंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में अपनी यात्रा शुरू की, इसके बाद 1976 में वित्त मंत्रालय में सचिव बने। 1980 से 1982 तक वे योजना आयोग के सदस्य रहे और 1982 से 1985 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्य किया। इसके बाद, 1985 से 1987 तक उन्होंने योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएं दीं। चंद्रशेखर की सरकार में, मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार के रूप में भी कार्यरत रहे।

मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। उनकी राजनीति में एंट्री 1991 में हुई, जब 21 जून को पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार में उन्हें वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। उस समय देश गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था। उन्होंने पी.वी. नरसिंह राव के साथ मिलकर विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए। वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने आर्थिक उदारीकरण की नीतियों को लागू किया, जिससे भारत को वैश्विक बाजार से जोड़ा जा सका। मनमोहन सिंह 1991 में पहली बार असम से राज्यसभा के सांसद बने और उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। वह 1998 से 2004 तक विपक्ष के नेता भी रहे। 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की जीत के बाद, उन्होंने 14वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और यूपीए-1 तथा यूपीए-2 में अपनी भूमिका निभाई।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले के गाह गांव में हुआ। उनके पिता का नाम गुरमुख सिंह और मां का नाम अमृत कौर था। जब वे छोटे थे, तब उनकी मां का निधन हो गया, जिसके बाद उनका पालन-पोषण उनकी नानी ने किया। 1947 में जब देश स्वतंत्र हुआ और पाकिस्तान का निर्माण हुआ, तब डॉक्टर सिंह का परिवार भारत आकर हल्द्वानी में बस गया। 1948 में वे अमृतसर चले गए, जहां उन्होंने हिंदू कॉलेज, अमृतसर में शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, होशियारपुर में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया और 1952 तथा 1954 में क्रमशः स्नातक और मास्टर डिग्री हासिल की।

1. 1954: पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री प्राप्त की।

1957: कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से तीन वर्षीय इकॉनमिक्स ट्रिपोस डिग्री हासिल की।

1962: ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डी.फिल की उपाधि प्राप्त की।

1971: भारत सरकार में वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्यभार संभाला।

1972: वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के पद पर नियुक्त हुए।

1980-82: योजना आयोग के सदस्य रहे।

1982-1985: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्य किया।

1985-87: योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएं दीं।

1987-90: जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव रहे।

1990: आर्थिक मामलों पर प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में नियुक्त हुए।

1991: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष बने।

1991: असम से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए और 1995, 2001, 2007 तथा 2013 में पुनः चुने गए।

1991-96: पीवी नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया।

1998-2004: राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे।

2004-2014: भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।










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