SIR controversy - निवास के लिए आधार निर्णायक और पक्का सबूत नहीं!, एसआईआर पर राजद-कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट ने दिया झटका
SIR controversy - आधार कार्ड को निवास का अंतिम और पक्का सबूत नहीं माना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया

New Delhi - SIR के विरोध में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे राजद और इंडी एलाएंस को बड़ा झटका लगा है। मामले में विपक्ष की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की तमाम दलील को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि आधार कार्ड को निवास का अंतिम और पक्का सबूत नहीं माना जा सकता है। खासकर, बिहार में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के दौरान।
मनोज झा ने की थी अपील
सीनियर वकील कपिल सिब्बल सर्वोच्च न्यायालय में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता मनोझ झा की तरफ से पेश हुए थे, उन्होंने कहा कि लोग आधार, राशन और मतदाता पहचान पत्र (EPIC) रखते हैं। लेकिन, अधिकारी इसे किसी भी चीज का पक्का सबूत नहीं मान रहे हैं।
मामले में आज सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ये दस्तावेज यह दिखा सकते हैं कि आप किसी क्षेत्र में रहते हैं, लेकिन इन्हें निर्णायक सबूत नहीं कहा जा सकता है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की पीठ ने कहा कि यह विवाद चुनाव आयोग और विपक्ष के बीच भरोसे की कमी के कारण बढ़ा है। जस्टिस कांत ने यह भी कहा कि यह कहना बहुत व्यापक होगा कि बिहार में किसी के पास वैध दस्तावेज ही नहीं है।
कपिल सिब्बल ने पेश किए सबूत
इससे पहले सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि मतदाता सूची में कई विसंगतियां हैं, जैसे जिन लोगों को मृत बताया गया वे जिंदा हैं और जिनकों जिंदा बताया गया वे मृत भी पाए गए हैं।
बड़ा काम, थोड़ी त्रुटी सामान्य
चुनाव आयोग के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि इस तरह के बड़े पैमाने के काम में कुछ त्रुटियां होना स्वाभाविक है, लेकिन इन्हें 30 सितंबर को अंतिम सूची जारी होने से पहले सुधारा जा सकता है।
बता दें, विपक्षी नेताओं और सामाजिक संगठनों ने 24 जून को चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी थी। 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर बड़े पैमाने पर वोटरों को बाहर किया गया, तो वह तुरंत हस्तक्षेप करेगा।