100 साल बाद सबसे बड़ा बदलाव - 'नागपुर से निकला वो आदेश, जिससे हिल जाएगी संघ की पुरानी संरचना! यूपी से राजस्थान तक अब ऐसे चलेगा RSS का काम'

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अपने स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के ऐतिहासिक अवसर पर अपनी संगठनात्मक संरचना में क्रांतिकारी बदलाव करने की तैयारी कर रहा है।

100 साल बाद सबसे बड़ा बदलाव - 'नागपुर से निकला वो आदेश, जिसस

Patna - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अपने स्थापना के शताब्दी वर्ष के अवसर पर अपनी सांगठनिक संरचना में व्यापक बदलाव करने जा रहा है। 100 साल पूरे होने के इस मौके पर संगठन ने प्रांत प्रचारकों की पुरानी व्यवस्था को समाप्त कर 'संभाग प्रचारक' की नई पद्धति लागू करने का प्रस्ताव रखा है।

प्रांत प्रचारक की जगह अब 'संभाग प्रचारक'

संघ की नई कार्यप्रणाली के तहत अब संगठन में प्रांत प्रचारक का पद नहीं होगा. उनके स्थान पर अब संभाग प्रचारक नियुक्त किए जाएंगे, जिनका कार्यक्षेत्र मौजूदा प्रांत प्रचारकों की तुलना में छोटा और अधिक केंद्रित रहेगा. इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य ग्रासरूट स्तर पर सांगठनिक कार्यों को और अधिक प्रभावी बनाना है.

राज्यवार नई संरचना और यूपी का मॉडल

नई संरचना के अनुसार, प्रत्येक राज्य के लिए अब एक 'राज्य प्रचारक' का पद होगा. संभागों का निर्धारण प्रशासनिक मंडल (कमिश्नरी) के आधार पर किया जाएगा, जिसमें करीब दो सरकारी मंडलों को मिलाकर संघ का एक संभाग बनाया जाएगा. उदाहरण के तौर पर, उत्तर प्रदेश में अभी 6 प्रांत प्रचारक हैं, लेकिन नई व्यवस्था में 18 प्रशासनिक मंडलों के हिसाब से 9 संभाग प्रचारक होंगे और पूरे यूपी के लिए केवल एक राज्य प्रचारक होगा.

क्षेत्र प्रचारकों की संख्या में कटौती

सांगठनिक फेरबदल का असर क्षेत्र प्रचारकों की संख्या पर भी पड़ेगा. वर्तमान में संघ में 11 क्षेत्र प्रचारक हैं, जिनकी संख्या घटाकर अब 9 कर दी जाएगी. इस नई व्यवस्था में कई क्षेत्रों का विलय किया जा रहा है, जिससे प्रभावी नियंत्रण और समन्वय सुनिश्चित किया जा सके.

यूपी-उत्तराखंड और राजस्थान के लिए नया सेटअप

नई योजना के तहत पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ उत्तराखंड को जोड़कर अब केवल एक ही क्षेत्र प्रचारक की नियुक्ति की जाएगी. हालांकि, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के राज्य प्रचारक अलग-अलग रहेंगे. इसी तरह, राजस्थान को अब उत्तर क्षेत्र (दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, हरियाणा और पंजाब) के साथ समाहित कर दिया जाएगा और इस पूरे क्षेत्र की जिम्मेदारी एक ही क्षेत्र प्रचारक के पास होगी.