tet mandatory - टीईटी पास किए बिना नहीं बन सकते स्थायी शिक्षक, सुप्रीम कोर्ट ने किया अनिवार्य, दिया यह आदेश
tet mandatory - टीईटी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक बड़े फैसले में साफ कर दिया है कि बिहार इस परीक्षा को पास किए स्थायी शिक्षक नहीं बन सकते हैं।

New Delhi - सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में प्राथमिक स्कूलों में टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) को अनिवार्य कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, टीईटी पास करना शिक्षकों की नियुक्ति के लिए एक आवश्यक शर्त है। इस फैसले के बाद, अब बिना टीईटी पास किए किसी भी व्यक्ति को शिक्षक के पद पर स्थायी नियुक्ति नहीं मिल सकती। यह निर्णय शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत अनिवार्यता
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (Right to Education Act, 2009) के तहत बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी है। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए टीईटी को लागू किया गया था, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि स्कूलों में केवल योग्य और प्रशिक्षित शिक्षक ही नियुक्त हों। यह फैसला उन सभी राज्यों पर लागू होगा, जहाँ अभी तक टीईटी को पूरी तरह से लागू नहीं किया गया था या जहाँ टीईटी पास किए बिना भी शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही थी।
नियमितीकरण की मांग खारिज
यह फैसला उन लाखों संविदा शिक्षकों के लिए एक झटका है, जो लंबे समय से अपने नियमितीकरण की मांग कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि अगर इन शिक्षकों ने टीईटी पास नहीं किया है, तो उनकी सेवा को नियमित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि शिक्षक की योग्यता से समझौता नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसका सीधा असर बच्चों के भविष्य पर पड़ता है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन शिक्षकों ने अपनी सेवा के दौरान टीईटी पास कर लिया है, उनके मामलों पर विचार किया जा सकता है।
भविष्य की नियुक्तियों पर प्रभाव
इस फैसले का भविष्य में होने वाली सभी शिक्षक नियुक्तियों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। अब सभी राज्यों को नई नियुक्तियों के लिए टीईटी को अनिवार्य बनाना होगा और इसके नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा। यह निर्णय शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और योग्यता को बढ़ावा देगा। इसके साथ ही, यह उन लोगों को भी प्रेरित करेगा जो शिक्षण के पेशे में आना चाहते हैं, कि वे अपनी योग्यता को बेहतर बनाएं और टीईटी जैसी परीक्षाओं को गंभीरता से लें।
राज्यों को मिला निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे जल्द से जल्द इस फैसले का पालन सुनिश्चित करें। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी राज्य में टीईटी को लागू करने में कोई समस्या आ रही है, तो वे एनसीटीई से सलाह ले सकते हैं। यह फैसला शिक्षकों की भर्ती में मनमानी और अनियमितताओं को रोकने में भी सहायक होगा, क्योंकि अब केवल वही लोग शिक्षक बन पाएंगे जो निर्धारित योग्यता मानदंडों को पूरा करते हैं।
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से देश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद बढ़ गई है। टीईटी एक ऐसा मानक है जो शिक्षकों के ज्ञान और शिक्षण कौशल का मूल्यांकन करता है। इस अनिवार्यता से यह सुनिश्चित होगा कि हमारे स्कूलों में जो भी शिक्षक पढ़ा रहे हैं, वे शिक्षण के लिए पूरी तरह से तैयार और योग्य हैं। यह निर्णय बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने और उन्हें एक मजबूत शैक्षणिक नींव प्रदान करने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
बिहार में लंबे समय से हो रही है मांग
बता दें कि बिहार में लाखों अभ्यर्थी लंबे समय से टीईटी परीक्षा आयोजित कराने की मांग कर रहे हैं। कई बार पटना में अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया है और पुलिस की लाठियां खाई है। लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।