Delhi Chief Minister : दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री की नियुक्ति को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। लेकिन दिल्ली से देश साधने की रणनीति के तहत भाजपा नए मंत्रिमंडल को अंतिम रूप देते हुए आम आदमी पार्टी के गढ़ पंजाब और इस वर्ष ही विधानसभा चुनाव वाले राज्य बिहार में अपने राजनीतिक संदेश के तहत दो उपमुख्यमंत्रियों को भी चुन सकती है।
भाजपा के नवनिर्वाचित विधायकों के एक वर्ग ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। हालांकि नया मंत्रिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ्रांस और अमेरिका से लौटने के बाद ही अंतिम रूप ले सकता है, लेकिन 27 साल बाद राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता हासिल करने में सफल रही पार्टी ने विभिन्न विकल्पों पर विचार करना शुरू कर दिया है। चूकी दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है, लेकिन यहां के राजनीतिक घटनाक्रमों की देशभर में गूंज होती है और मुख्यमंत्री के दो उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति से भाजपा को अधिक व्यापक और अधिक विविध निर्वाचन क्षेत्रों को संबोधित करने का मौका मिलता है।
पंजाब में कमल खिलाने की तैयारी
पंजाब लंबे समय से भाजपा की कमजोरी रहा है। पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व वाली आप सरकार को वर्तमान में पूर्ण बहुमत प्राप्त है, जबकि कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है। भगवा पार्टी और उसके वैचारिक गुरु आरएसएस को राज्य में पैठ बनाने में मुश्किल हो रही है। किसानों के आंदोलन और अकाली दल से नाता तोड़ने के कारण भाजपा के पास न तो कोई मुख्य मतदाता वर्ग बचा है और न ही कोई सहयोगी। ऐसे में माना जा रहा है कि अब दिल्ली में राजौरी गार्डन के विधायक और पूर्व अकाली नेता और दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रमुख मनजिंदर सिंह सिरसा को कैबिनेट में संभावित सिख प्रतिनिधि और यहां तक कि उपमुख्यमंत्री के रूप में देखा जा रहा है।
दिल्ली से भाजपा जीतेगी बिहार
अक्टूबर-नवम्बर 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए भाजपा एक उपमुख्यमंत्री की नियुक्ति पर भी विचार कर सकती है। बिहार भी भाजपा के लिए मुश्किल भरा राज्य रहा है। नीतीश कुमार की जेडी(यू) के जूनियर पार्टनर के रूप में भाजपा कई मौकों पर राज्य में सत्ता में रही है। लेकिन बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है जहां पार्टी मुख्यमंत्री नहीं बना पाई है। ऐसे में दिल्ली में बिहार मूल के किसी नेता उप मुख्यमंत्री बनाकर बिहार साधने की कोशिश हो सकती है.
पड़ोसी राज्यों को तरजीह
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली हरियाणा, यूपी और राजस्थान के कुछ इलाकों में जाट बहुल निर्वाचन क्षेत्रों से सटा हुआ है। उत्तर प्रदेश में भाजपा के कुछ प्रमुख जाट चेहरे लोकसभा चुनाव हार गए। हरियाणा में भी पार्टी ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस के खिलाफ गैर-जाट मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिश की है। अगर भाजपा दिल्ली के कैबिनेट चयन में पड़ोसी राज्यों में अपनी राजनीतिक स्थिति को संतुलित करने का प्रयास करती है, तो पूर्व सांसद परवेश वर्मा, जिन्होंने इस बार के चुनाव में नई दिल्ली से अरविंद केजरीवाल को हराया था, शीर्ष तीन स्थान के लिए एक मजबूत दावेदार के रूप में उभरे हैं। वहीं देश में भाजपा शासित एक भी राज्य में को महिला मुख्यमंत्री नहीं है। ऐसी अटकलें हैं कि पार्टी दिल्ली में इस विसंगति को ठीक करना चाहती है और कोई महिला भी सीएम बन सकती है।