Correct method of worshiping God: घर में अपने ईष्ट या भगवान की पूजा-अर्चना करते समय अक्सर लोग पूजा की सही विधि का पालन नहीं कर पाते, जिससे पूजा का पूरा फल नहीं मिलता और कुछ गलतियां हो जाती हैं। इनसे बचने के लिए पूजा के दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। खासकर पंचोपचार और षोडशोपचार विधि का अनुसरण करना चाहिए, जिससे भगवान प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा सदैव बनी रहती है।
मूर्ति पूजन की सही विधि: पंचोपचार पूजन
विंध्यधाम के प्रसिद्ध विद्वान पंडित अनुपम महराज बताते हैं कि यदि घर में भगवान की मूर्ति या तस्वीर रखी हुई है, तो उसकी नियमित पूजा करना बेहद जरूरी है। अगर आप प्रतिदिन मूर्ति पूजन करना चाह रहे हैं, तो पंचोपचार पूजन की विधि से पूजा अवश्य करें। इससे पूजा में किसी भी प्रकार की त्रुटि नहीं होती। घर में मूर्ति रखकर पूजा न करने से दोष लगता है।पंचोपचार पूजन विधि:
जल स्नान: पूजा के लिए
किसी पात्र में जल लें और किसी फूल की पंखुड़ी से मूर्ति या तस्वीर को स्नान कराएं।
वस्त्र अर्पण: प्रतिदिन वस्त्र बदलने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन रक्षा अवश्य अर्पित करें।
रोरी और माला: भगवान की प्रतिमा या तस्वीर पर रोरी से टीका लगाकर माला पहनाएं।
धूप और दीया: एक धूप बत्ती और दीया से भगवान की आरती उतारें।
भोग अर्पण: अगर आप भोग अर्पित करना चाहें, तो किशमिश और मिश्री सर्वोत्तम भोग माने जाते हैं। भोग के बाद पंचामृत छिड़कें।
साल में एक बार करें षोडशोपचार पूजन
पंडित विनय महराज के अनुसार, साल में एक बार षोडशोपचार पूजन अवश्य करना चाहिए। यह 16 प्रकार से भगवान की पूजा का विधान है, जिसमें चरणामृत और शुद्धोधक जल का उपयोग होता है।
षोडशोपचार पूजन विधि
रोरी, हल्दी, अबीर, धूप, सिंदूर, दीप, और नैवेद्य के साथ ऋतु फल, ताम्बूल, इत्र, मिष्ठान, और ड्राईफ्रूट चढ़ाए जाते हैं।
चरणामृत और शुद्धोधक जल से स्नान कराने के बाद भगवान की पूजा करें।
इसे विधि-विधान से करने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
पूजा में ध्यान रखने योग्य बातें
नियमित रूप से मूर्ति या तस्वीर की पूजा न करने से दोष लगता है। भगवान की पूजा के समय शुद्धता और ध्यान जरूरी है।षोडशोपचार पूजा साल में कम से कम एक बार जरूर करें, जिससे भगवान प्रसन्न होते हैं और पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है। घर में मूर्ति या तस्वीर रखकर पूजन करते समय पंचोपचार और षोडशोपचार पूजन विधि का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। नियमित पूजा से भगवान की कृपा बनी रहती है और जीवन में सुख-शांति प्राप्त होती है।