नौ दिन की शक्ति और भक्ति यात्रा के बाद मां दुर्गा को भावभीनी विदाई, पालकी पर सवार हो कर प्रस्थान करेंगी मां भवानी, जानिए विजयादशमी पर मूर्ति विसर्जन का खास महत्व

Bihar Durga Visarjan:मां दुर्गा का प्रस्थान डोली या पालकी पर होगा। देवी का डोली पर प्रस्थान सुख, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है।

Maa Durga will depart riding on a palanquin
पालकी पर सवार हो कर प्रस्थान करेंगी मां भवानी- फोटो : reporter

Bihar Durga Visarjan: नौ दिनों तक चलने वाली शक्ति और भक्ति की अलौकिक यात्रा का समापन विजयादशमी पर  यानी आज होगा।  पंडितों के अनुसार मां दुर्गा का प्रस्थान डोली या पालकी पर होगा। देवी का डोली पर प्रस्थान सुख, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है।

शारदीय नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिपूर्वक पूजा की जाती है, और आज उनका भावभीनी विदाई समारोह मनाया जाएगा। इस दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और श्रवणा नक्षत्र का युग्म संयोग बन रहा है, साथ ही चार शुभ योग सुकर्मा योग, धृति योग, रवियोग और सिद्ध योग भी उपस्थित हैं। यह मुहूर्त इसे विशेष रूप से सभी शुभ कार्यों के लिए उत्तम बनाता है।देवी पुराण के अनुसार, पालकी में मां दुर्गा का प्रस्थान होने से भक्तों के जीवन में सुख-शांति और शुभता की वृद्धि होती है। इसी के साथ सभी पूजा पंडालों में स्थापित प्रतिमाओं का विसर्जन भी आज से आरंभ होगा।

शारदीय नवरात्र में अधिकांश उपासक फलाहार के साथ ही देवी की आराधना में लीन रहते हैं, जबकि कुछ भक्त दिन में फलाहार और रात्रि में सात्विक अन्न ग्रहण करते हैं। इसके बावजूद, जीवन की भागदौड़ भरी जिम्मेदारियों के बीच वे अपने कार्यों का पालन पूरे निष्ठा और शक्ति के साथ करते हैं। उनकी यह शक्ति और ऊर्जा माता की भक्ति और आशीर्वाद से ही प्राप्त होती है।विजयादशमी का दिन विशेष इसलिए भी है क्योंकि चातुर्मास के कारण चार महीने तक अधिकांश शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। इस दिन सभी द्वार खुले होने के कारण भूमि पूजन, गृहप्रवेश, सगाई, नूतन व्यापार आरंभ, सत्यनारायण पूजा और वाहन की खरीदारी जैसे कार्य संपन्न किए जा सकते हैं।

नौ दिनों तक शक्ति, भक्ति और अनुकंपा की अलौकिक यात्रा पूरी करने के बाद आज विजयादशमी, 2 अक्टूबर 2025 के दिन मां दुर्गा को विदा करने का पावन अवसर है। जिस तरह नवरात्र के प्रत्येक दिन मां के नौ रूपों की आराधना का विशेष विधान है, उसी तरह उन्हें भावपूर्ण विदाई देने के भी विशेष नियम और महत्व हैं।इस वर्ष विजयादशमी गुरुवार को पड़ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां दुर्गा का प्रस्थान डोली या पालकी पर किया जाता है। यह डोली या पालकी केवल एक भौतिक यात्रा नहीं है, बल्कि सुख, शांति और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा और उपासना के बाद यह परम्परागत समापन भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

मां दुर्गा, जगत की जननी और संरक्षिका, अपने भक्तों का हर समय ध्यान रखती हैं। उनकी कृपा मात्र से यह महानुष्ठान सफल होता है। नौ दिनों की साधना और भक्ति के बाद आज का दिन भक्तों के लिए भावनाओं का संचार, आत्मिक शांति और सामूहिक आनंद लेकर आता है।इस प्रकार, मां दुर्गा का डोली या पालकी पर प्रस्थान केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भक्ति और शक्ति का प्रतीक, सुख और समृद्धि का संकेत, और जीवन में नए उत्साह का आरंभ है। भक्त इस दिन मां की कृपा और संरक्षण को अपने हृदय में संजोते हुए जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और सौभाग्य की कामना करते हैं।