Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद महाराज ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया पर अनिरुद्धाचार्य जी महाराज के साथ मुलाकात का एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने अनिरुद्धाचार्य को पांच महत्वपूर्ण नसीहतें दीं। इन नसीहतों का उद्देश्य अनिरुद्धाचार्य को सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करते हुए निष्कलंक जीवन जीने में मार्गदर्शन देना था।
अनिरुद्धाचार्य जी को पूज्य महाराज जी ने किन-किन बातों को ध्यान में रखने को बोला ? Bhajan Marg#premanandjimaharaj #satguru #vrindavan pic.twitter.com/YKncsW6Pq6
— Bhajan Marg (@RadhaKeliKunj) January 27, 2025
1. अर्थ की लालसा से बचने की नसीहत
प्रेमानंद महाराज ने अनिरुद्धाचार्य जी को सलाह दी कि वे अर्थ की लालसा (धन की इच्छा) से हमेशा बचें और धर्म को अपनी प्राथमिकता बनाए रखें। उन्होंने कहा कि जीवन में केवल धन को महत्व न दें, बल्कि प्रतिष्ठा और धार्मिकता को सर्वोपरि रखें।
"अर्थ को अपने सिर पर न चढ़ाएं, बल्कि उसे अपने चरणों में रखें। मस्तक केवल भगवान के लिए है।"
2. सहयोगियों के प्रति सतर्क रहने की नसीहत
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि दुनिया में जहाँ सौ लोग आपको सम्मान देंगे, वहीं पांच लोग ऐसे भी होंगे जो आपको गिराने की कोशिश करेंगे। इसलिए अर्थ की प्रधानता न रखें और हमेशा धर्म का आश्रय लें।
"आपके आस-पास के लोग आपके लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं, इसलिए सतर्क रहें।"
3. वाणी संयम और मौन की नसीहत
प्रेमानंद महाराज ने अनिरुद्धाचार्य जी को वाणी का संयम रखने की सलाह दी। हर प्रश्न का उत्तर देने की आवश्यकता नहीं होती। यदि प्रश्नकर्ता योग्य नहीं है या प्रश्न का उत्तर देना उचित नहीं लगता, तो मौन रहना बेहतर है।
"वाणी से शास्त्र सम्मत बात करें, और जरूरी हो तो कहें कि मैं असमर्थ हूं उत्तर देने में।"
4. जगह और समाज को देखकर निमंत्रण स्वीकार करने की नसीहत
उन्होंने कहा कि कहीं भी जाने से पहले यह देखना जरूरी है कि आपकी धर्म और प्रतिष्ठा पर कोई आंच न आए। धर्म और समाज की प्रतिष्ठा को प्राथमिकता देते हुए ही कहीं जाने का निर्णय लेना चाहिए।
"सिर्फ वहीं जाएं जहां धर्म और आपकी प्रतिष्ठा की रक्षा होती है।"
5. कंचन और कामिनी से दूर रहने की नसीहत
प्रेमानंद महाराज ने अनिरुद्धाचार्य जी को कंचन (धन) और कामिनी (स्त्री) के प्रति आकर्षण से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि धर्म के रास्ते पर चलने वाले व्यक्ति के पास वैभव अपने आप आता है।
"गायत्री मंत्र का जाप करें, और संयम से रहें। सनातन धर्म को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित रहें।"
प्रेमानंद महाराज की नसीहतों का उद्देश्य
प्रेमानंद महाराज की इन नसीहतों का उद्देश्य अनिरुद्धाचार्य महाराज को एक निष्कलंक जीवन जीने और सनातन धर्म के प्रसार में अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाने के लिए प्रेरित करना था।