Religion:सज्जनों की संगत भी नहीं बदलती दुष्ट की फितरत,साँप चाहे चंदन के नीचे ही क्यों न छुपा हो!
Religion:बुराई अगर चंदन के नीचे भी हो, तो वो सिर्फ़ छिपती है, मिटती नहीं। तुलसीदास ने सही कहा — संगत से नहीं, स्वभाव से फर्क पड़ता है।...

Religion:नीच निचाई नही तजई, सज्जनहू के संग। तुलसी चंदन बिटप बसि, बिनु बिष भय न भुजंग।।
तुलसीदास जी कहते हैं कि अधम यानी नीच व्यक्ति सज्जन लोगों के साथ कितना भी रह ले लेकिन वह अपनी नीचता करना नहीं छोड़ता अर्थात सज्जनों के साथ रहकर भी उसकी नीचता में कोई कमी नहीं आ पाती। बिल्कुल उसी तरह जिस तरह चंदन के वृक्ष से विष भरे साँप लिपटे रहते हैं, लेकिन शीतल चंदन के वृक्ष से लिपटे रहने के बाद भी सांपों का विष कम नहीं होता!
बाबा तुलसी कहते हैं कि कुछ मनुष्य सज्जनता को कुछ देर के लिए जानबूझकर धारण किए रहता है वह बहुत देर तक टिक नहीं पाती। सामने वाले को और समाज को विश्वास में लेता है..लेकिन उसकी असली फितरत कुछ हीं समय बाद सामने आ जाती है...काम और अहंकार में डूबा मनुष्य निर्लज्जता की सारी सीमाएं पार कर अपनी बेमतलब पिपासा को शांत करने लिए बहुत हीं निचले स्तर का झूठ बोलता है..फरेब करता है..गुप्तचरी करने लगता है....उसे लगता है कि हम भाई,परिवार रिश्तेदार सब को ठग रहे हैं,लेकिन वह खुद को ठग रहा होता है...अंत में उसे कुछ हासिल भी नहीं होता।
...वासना के कूप में पड़ा दिन रात जलते रहता है..अपनी झूठी तृष्णा के चक्कर में अपमान की घूंट पीकर भी गिड़गिड़ाता है..कभी बेचैन होता है तो अभी उसका आनंद लेता है....उसके दुख का कारण वह स्वयं होता है साथ हीं उसके अधर्मयुक्त कर्म होते हैं...चुकी यह सत्य है कि घाव से निकलेगा तो सिर्फ और सिर्फ मवाद हीं....उसे लगता है कि जमाना मेरा दुश्मन है जबकि उसके कर्म हीं उसके शत्रु हैं....बाबा तुलसी कहते हैं कि इन सबसे मुक्त होने के लिए पहले अपने गंदे आचरण को नियंत्रित करो...किसी की निंदा से बचो..मन को दास बनाओ...मन का दास मत बनो...
बाबा तुलसीदास कहते हैं....सारे मनुष्य कलयुग में सिर्फ भगवान का नाम लेकर और धर्मयुक्त काम कर भवसागर की वैतरणी को पार कर सकता हैं....कलयुग केवल नाम आधारा.... सुमरी सुमरी भाव उतरही पारा....जरूरत है दृढ़ संकल्प की....स्थिति और परिस्थिति दोनों मनुष्य के हाथ में हैं...स्टीयरिंग को किस ओर घूमाना है उस भी उसी पर निर्भर करता है.....
कौशलेंद्र प्रियदर्शी की कलम से....