नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की क्यों होती है पूजा, आराधना से सृष्टि और शक्ति के संगम तक की पूरी कहानी, जानिए

Navratri 2025: नवरात्र के चौथे दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप माता कूष्मांडा की पूजा विधान है..

Navratri 2025
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की क्यों होती है पूजा- फोटो : social Media

Navratri 2025: नवरात्र के चौथे दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप माता कूष्मांडा की पूजा होती है। चैत्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला यह दिवस भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि अपनी हल्की मुस्कान से सृष्टि का आरंभ करने वाली देवी को ही कूष्मांडा कहा गया। जब समस्त ब्रह्मांड अंधकार में लिप्त था, तब मां की दिव्य हंसी से प्रकाश और जीवन की शुरुआत हुई।

मां कूष्मांडा आठ भुजाओं वाली अद्भुत शक्ति हैं, जिनके हाथों में जपमाला, धनुष, कमल, अमृतकलश और अस्त्र-शस्त्र सुशोभित रहते हैं। इसी कारण इन्हें अष्ठभुजा देवी भी कहा जाता है। भक्त इस दिन मां को मिठाई, फल और मालपुआ अर्पित करते हैं। विश्वास है कि इस पूजन से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

शारदीय नवरात्रि का यह पर्व केवल अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक साधना का भी प्रतीक है। यह मनुष्य को आत्मशुद्धि और आत्मसंयम का मार्ग दिखाता है। रामायण में भी उल्लेख है कि भगवान श्रीराम ने लंका विजय से पूर्व शक्ति की साधना की थी और मां की कृपा से रावण जैसे अहंकारी और दुराचारी का अंत हुआ।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माता कूष्मांडा का संबंध बुध ग्रह से है। अतः जो साधक इस दिन श्रद्धापूर्वक उनकी आराधना करते हैं, उन्हें बुद्धि, विवेक और वाणी की शक्ति प्राप्त होती है। साथ ही, बुध से जुड़ी नकारात्मकता और ग्रहदोष भी शांत होते हैं। यही कारण है कि विद्यार्थी, लेखक, कवि और वक्ता मां कूष्मांडा की कृपा पाने के लिए विशेष भक्ति भाव से पूजन करते हैं।

आज के युग में भी यह पर्व हमें संदेश देता है कि व्रत और उपवास केवल शारीरिक तपस्या नहीं, बल्कि आत्मिक अनुशासन है। जब हम अपनी वासना, क्रोध, अहंकार और मोह जैसे आंतरिक रावण पर विजय प्राप्त करते हैं, तभी सच्चे अर्थों में धर्म का ध्वज फहराते हैं।

अतः इस नवरात्रि पर मां कूष्मांडा की उपासना करके हम न केवल भौतिक सुख और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि आध्यात्मिक उत्थान और मानसिक शांति भी पा सकते हैं। यही मां की कृपा है सृष्टि में प्रकाश, जीवन में ऊर्जा और हृदय में करुणा का संचार।

कौशलेंद्र प्रियदर्शी की कलम से.....