Chandra Grahan 2025: पितृ पक्ष के पहले दिन 7 सितम्बर को लगेगा साल का आखिरी चंद्रग्रहण, ज्योतिषीय भविष्यवाणी में आपदा और उथल-पुथल के संकेत, इन राशियों के लोग रहे सावधान
पंचांग के अनुसार साल 2025 का अंतिम चंद्रग्रहण 7 सितंबर की रात 9:57 बजे आरंभ होगा और लगभग साढ़े तीन घंटे तक चलेगा। यह अद्भुत खगोलीय घटना 8 सितंबर की सुबह 01:26 बजे समाप्त होगी।...

Chandra Grahan 2025: 7 सितंबर की रात, जब पूरा आकाश लालिमा से नहाया होगा और चंद्रमा एक विचित्र, रक्तिम आभा लिए धरती के ऊपर टंगा होगा यह दृश्य जितना मनमोहक होगा, उतना ही भयावह और आशंकाओं से भरा भी। पंचांग के अनुसार साल 2025 का अंतिम चंद्रग्रहण 7 सितंबर की रात 9:57 बजे आरंभ होगा और लगभग साढ़े तीन घंटे तक चलेगा। यह अद्भुत खगोलीय घटना 8 सितंबर की सुबह 01:26 बजे समाप्त होगी।यह ग्रहण भारत समेत एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और अफ्रीका के अधिकांश हिस्सों में पूर्ण रूप से दिखाई देगा।
ज्योतिषीय दृष्टि से ग्रहण
यह चंद्रग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में घटित हो रहा है। ग्रहों की चाल बताती है कि इस समय राहु चंद्रमा के समीप युति में रहेगा और सूर्य-केतु कन्या राशि में विराजमान होंगे। शास्त्रों में इसे अशुभ योग माना गया है, जो प्राकृतिक आपदाओं और राजनीतिक उथल-पुथल का संकेत देता है।पर्वतीय क्षेत्रों में भूकंप और भूस्खलन की आशंका।समुद्री इलाकों में तूफान और बादल फटने जैसी घटनाएँ।भारत पर अमेरिकी व्यापार दबाव और मध्य-पूर्व में इज़रायल का आक्रामक रुख, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं।
खगोल विज्ञान की दृष्टि
वैज्ञानिकों के लिए यह घटना उतनी ही रहस्यमयी है। जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तब सूर्य की रोशनी सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुँच पाती। वायुमंडल की परतों से गुजरने वाली लाल तरंगें चंद्रमा पर पड़ती हैं और उसे रक्त-लाल रंग से ढँक देती हैं। इसी कारण इसे ब्लड मून कहा जाता है।
पितृ पक्ष और ग्रहण का संयोग
7 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है। यही वह कालखंड है जब पूर्वजों को तर्पण और श्राद्ध अर्पित किए जाते हैं। उसी दिन साल का आखिरी चंद्रग्रहण भी पड़ रहा है। यह संयोग अत्यंत दुर्लभ और गहन आध्यात्मिक महत्व से भरा है।ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इस दिन किया गया दान और तर्पण कई गुना फलदायी होगा।साधना और प्रार्थना का प्रभाव साधारण दिनों से कई गुना बढ़ जाएगा।पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने का यह दुर्लभ अवसर होगा।
सूतक काल और वर्जनाएँ
चंद्रग्रहण से ठीक 9 घंटे पहले सूतक काल प्रारंभ हो जाता है। अतः 7 सितंबर की दोपहर 12:57 बजे से सूतक लग जाएगा, जो 8 सितंबर की सुबह ग्रहण समाप्ति तक रहेगा।इस दौरान पूजा-पाठ, भोजन, मूर्तियों का स्पर्श वर्जित है।गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी रखनी चाहिए।धारदार औजारों और बाहर निकलने से बचना चाहिए।तुलसी का स्पर्श निषिद्ध है।
राशियों पर प्रभाव
ज्योतिषाचार्य हीरेश कुमार के अनुसार यह ग्रहण विशेष रूप से वृषभ, मिथुन, सिंह, तुला और कुंभ राशि वालों के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा।
वृषभ: स्वास्थ्य और आर्थिक संकट।
मिथुन: संतान संबंधी तनाव।
सिंह: दांपत्य जीवन में विवाद।
तुला: खर्चे बढ़ेंगे, लाभ में देरी।
कुंभ: दुर्घटना या कार्यस्थल पर षड्यंत्र का खतरा।
आध्यात्मिक महत्व
सनातन मान्यताओं के अनुसार ग्रहण काल में किया गया जप, ध्यान और साधना असाधारण फल देती है। यद्यपि इसे भय और आपदा का सूचक माना गया है, किंतु साधना और दान-पुण्य करने से ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक फल में बदला जा सकता है।साल का अंतिम चंद्रग्रहण केवल एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि आस्था, ज्योतिष और विज्ञान का संगम है। यह रात आकाश को लालिमा से रंग देगी।