फुलेरा दूज एक विशेष हिन्दू पर्व है जो फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण और उनकी प्रिय श्री राधा रानी को समर्पित है। इस दिन विशेष रूप से श्री कृष्ण के मंदिरों में फूलों की होली खेली जाती है और उनका पूजन विधिपूर्वक किया जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राधा कृष्ण के प्रेम और भक्ति का प्रतीक भी है।
फुलेरा दूज की पौराणिक कथा
फुलेरा दूज की कथा पौराणिक समय से जुड़ी हुई है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण और श्री राधा रानी के प्रेम का वर्णन मिलता है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण अपनी व्यस्तता के कारण काफी दिनों से राधा रानी से नहीं मिल पा रहे थे, जिससे राधा रानी नाराज हो गईं। उनकी नाराजगी का असर मथुरा में देखा गया, जहां के फूल मुरझा गए और वन सूखने लगे।
यह स्थिति देखकर श्री कृष्ण राधा रानी से मिलने के लिए वृंदावन पहुंचे। राधा जी से मिलकर उनका चेहरा खिल उठा और मथुरा में हरियाली वापस लौट आई। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने वहां खिल रहे फूलों को तोड़कर राधा जी को छेड़ा और उन पर फूल फेंक दिए। राधा रानी भी कृष्ण के साथ ऐसा ही करने लगीं। इस दृश्य को देखकर भगवान श्री कृष्ण के साथ अन्य ग्वाल-बाल और गोपियाँ भी एक-दूसरे पर फूलों की वर्षा करने लगीं। यह वही क्षण था, जब मथुरा में फूलों की होली खेलने की शुरुआत हुई।
फुलेरा दूज का महत्व और पूजा विधि
फुलेरा दूज पर भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन भक्त श्री कृष्ण और राधा रानी के चित्र या मूर्तियों पर फूल अर्पित करते हैं। साथ ही, विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करते हैं। इस अवसर पर विशेष रूप से श्री कृष्ण के मंत्रों का जाप किया जाता है। भक्तजन श्री कृष्ण से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं।
श्री कृष्ण के मंत्रों में से कुछ महत्वपूर्ण मंत्र इस प्रकार हैं:
- ॐ कृष्णाय नमः
- हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे - ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः
- कृष्ण गायत्री मंत्र:
“ॐ देव्किनन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात”
इन मंत्रों का जाप करने से मानसिक शांति मिलती है और भक्त का आत्मबल बढ़ता है।
फुलेरा दूज पर विशेष पूजा के लाभ
फुलेरा दूज पर श्री राधा कृष्ण की पूजा से केवल आध्यात्मिक लाभ ही नहीं मिलता, बल्कि यह दिन भक्तों के जीवन में खुशहाली, प्रेम और समृद्धि लाने वाला होता है। इस दिन विशेष रूप से फूलों से होली खेली जाती है, जो प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। यह पर्व सभी को एकजुट करने का काम करता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
निष्कर्ष
फुलेरा दूज भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के प्रेम और भक्ति का पर्व है। यह दिन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह हमें प्रेम, भक्ति और सामूहिक एकता का संदेश भी देता है। इस दिन की पूजा विधि और मंत्रों का जाप करने से जीवन में शांति और समृद्धि आती है। इसलिए, इस खास पर्व पर श्रद्धापूर्वक पूजा करना और श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त करना एक उत्तम कार्य है।
(यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले अपने परामर्शदाता से सलाह लें)