Janmashtami 2025: कलयुग की मीरा ! भगवान कृष्ण से महिला ने रचाई शादी, पति स्वरुप बांके बिहारी संग मनाएंगी पहली जन्माष्टमी

Janmashtami 2025: मीरा जिन्होंने बचपन से ही भगवान कृष्ण को अपना सब कुछ मान लिया था, उन्हें भगवान कृष्ण से इस प्रकार लगाव थी कि वे अपने सांसारिक पति को भी स्वीकार नहीं कर पाई...

Janmashtami 2025
कलयुग की मीरा - फोटो : social media

Janmashtami 2025: देश भर में आज जन्माष्टमी मनाया जा रहा है। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी कहा जाता है। इसे कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्रीकृष्ण जयंती और श्री जयंती जैसे नामों से भी जाना जाता है। इस दिन श्रद्धालु भगवान कृष्ण के बालस्वरूप लड्डू गोपाल की पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान कृष्ण की पूजा भक्त कई रुप में करते हैं लेकिन कुछ भक्त ऐसे हैं जो भगवान कृष्ण को अपना प्रियतम तो कोई उन्हें अपना पति भी मानते हैं। मीराबाई का नाम आपने तो सुना ही होगा। मीरा बचपन से ही श्रीकृष्ण की मूर्ति को अपना पति मानती थीं। विवाह के बाद भी उनका प्रेम कृष्ण के प्रति ही बना रहा। वे सांसारिक पति को स्वीकार नहीं कर पाईं। 

विवाह के बाद पहली जन्माष्टमी 

वहीं भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव कान्हा नगरी 'वृंदावन' में बेहद खास होता है, लेकिन इस बार यह और भी अनोखा होने जा रहा है। लाखों भक्तों की तरह एक महिला भी जन्माष्टमी की तैयारियों में जुटी हैं, फर्क बस इतना है कि उन्होंने ठाकुर बांके बिहारी को अपने पति के रूप में स्वीकार किया है। विवाह के बाद बतौर पत्नी उनकी यह पहली जन्माष्टमी है। इन्हें कलयुग की मीरा कहना शायद ही गलत होगा। मीरा की तरह ये भी सारा दिन अपने कान्हा को खुश करने में निकालती हैं, कान्हा से कभी रुठती तो कभी उन्हें प्यार से मनाती हैं। 

जन्माष्टमी पर विशेष तैयारी 

इंदुलेखा नाम की यह महिला वृंदावन में रहती हैं और ठाकुर जी की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर चुकी हैं। उन्होंने बताया कि जन्माष्टमी पर ठाकुर जी के लिए विशेष वस्त्र मंगाए हैं और भोग में खीर सहित उनका प्रिय प्रसाद अर्पित करेंगी। इंदुलेखा का दावा है कि ठाकुर जी उन्हें एक दिन पहले संकेत देकर बता देते हैं कि उन्हें क्या पसंद है।

ठाकुर जी को किया पति रुप में स्वीकार

इंदुलेखा ने कहा कि जब से ठाकुर जी को पति के रूप में स्वीकार किया है, तब से जीवन पूरी तरह बदल गया है। आनंद और भक्ति से जीवन सराबोर हो गया है। कभी-कभी ठाकुर जी से नाराजगी और झगड़ा भी हो जाता है, लेकिन आखिरकार वह प्रसन्न कर ही देते हैं।