PATNA - शिक्षा विभाग में सुधार के प्रयास के बावजूद लगातार भ्रष्टाचार के मामले सामने आया है। जहां करोड़ों की संपत्ति मिलने के बाद बेतिया के डीईओ रजनीकांत को संस्पेंड कर दिया गया। वहीं ऐसी ही दूसरी बड़ी कार्रवाई सीतामढ़ी में भी की गई है। यहां के पूर्व डीईओ संजय प्रसाद देव उर्फ कन्हैया प्रसाद देव के खिलाफ एसीएस एस. सिद्धार्थ ने बड़ी कार्रवाई की है।
आजीवन पेंशन पर रोक
सीतीमढ़ी के पूर्व डीईओ संजय प्रसाद देव उर्फ कन्हैया प्रसाद देव के आजीवन पेंशन यह कार्रवाई उन पर रिश्वतखोरी के एक मामले को लेकर की गई है। दो साल पहले उन्हें निगरानी टीम ने 50 हजार रुपए घुस लेते हुए गिरफ्तार किया था। शिक्षा विभाग के निदेशक सुबोध कुमार चौधरी ने मामले में आदेश जारी किया है। शिक्षा विभाग में ऐसी कार्रवाई पहली बार की गई है। जिसके बाद भ्रष्टाचार में लिप्त शिक्षा विभाग के अधिकारियों के बीच हड़कंप मच गया है।
पिछले साल जनवरी में हुए रिटायर
शिक्षा विभाग के संकल्प में कहा गया, तत्कालीन डीपीओ संजय प्रसाद देव 31 जनवरी 2024 को सेवानिवृत हो गए थे। इसके बाद इनके खिलाफ 29 सितंबर 2024 को जारी विभागीय कार्रवाई को बिहार पेंशन नियमावली में परिवर्तित कर दिया गया। संचालन पदाधिकारी ने जांच प्रतिवेदन में आरोपी पदाधिकारी के खिलाफ गठित आरोप प्रमाणित पाए। इसके बाद इनसे दोबारा स्पष्टीकरण की मांग की गई। शिक्षा विभाग के डीपीओ संजय से पूछे गए स्पष्टीकरण के जवाब में उन्होंने नया साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया।
बीपीएससी की सहमति से हुई कार्रवाई
जिसके बाद संचालन पदाधिकारी ने आरोपी अधिकारी के 100 फ़ीसदी पेंशन को सदा के लिए रोकने का दंड लगाया। संचालन पदाधिकारी के दंड प्रस्ताव पर बिहार लोक सेवा आयोग से परामर्श मांगी गई। बीपीएससी ने भी उक्त दंड पर अपनी सहमति दे दी। इसके बाद शिक्षा विभाग ने 17 जनवरी 2025 को संजय की शत प्रतिशत पेंशन को सदा के लिए रोक लगाने का संकल्प जारी कर दिया।
बता दें कि संजय प्रसाद देव दरभंगा में डीपीओ के पद पर तैनात हुआ करते थे। यहां से उन्हें शिक्षा विभाग ने प्रमोशन देकर सीतामढ़ी का DEO बनाया था। इस पोस्ट को लेकर सीतामढ़ी के तत्कालीन डीपीओ संजय और एक अन्य डीपीओ में प्रभारी डीईओ के पद के लिए काफी दिनों से रस्साकसी चल रही थी। अंतत संजय ने बाजी मारी थी।
डीईओ बनते ही हुए गिरफ्तार
उन्हें 15 मार्च की शाम प्रभारी डीईओ का प्रभार मिला था। अगले दिन यानी 16 तारीख को वे 50 हजार रुपये रिश्वत लेते निगरानी ने रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। उसके बाद विभाग ने उन्हें निलंबित कर दिया था। काफी दिनों बाद उन्हें जेल जमानत मिलने के बाद विभाग ने फिर से तैनात किया था। अब संजय विभाग से अवकाश प्राप्त कर लिए हैं। अवकाश प्राप्त करने के बाद उनको जीवकोपार्जन के लिए मिलने वाले पेंशन पर विभाग ने आजीवन रोक लगा दी है।