बिहार में वोट प्रतिशत बढ़ने से नीतीश की वापसी या तेजस्वी का आगमन, पीके करेंगे करिश्मा, जानिए जमीनी हकीकत

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1951-52 के पहले चुनावों के बाद से यह सबसे ज़्यादा मतदाताओं की भागीदारी रही जिसमे वोट प्रतिशत करीब 65 फीसदी के करीब रहा।

Nitish Kumar,Tejashwi Yadav, Prashant Kishor
Nitish Kumar,Tejashwi Yadav, Prashant Kishor- फोटो : news4nation

Bihar Election : बिहार में 243 सीटों में से 121 सीटों पर पहले चरण के चुनाव खत्म होने के तुरंत बाद, चुनाव आयोग ने 64.69% रिकॉर्ड वोटिंग की घोषणा की। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1951-52 के पहले चुनावों के बाद से यह सबसे ज़्यादा मतदाताओं की भागीदारी रही जिसमे वोट प्रतिशत करीब 65 फीसदी के करीब रहा। आंकड़ों पर गौर करें तो यह अविभाजित बिहार में 2000 के विधानसभा चुनावों में दर्ज 62.57% वोटिंग से भी ज़्यादा था, जब राज्य में 324 सीटें थीं।


वोट प्रतिशत बढने से जहां चुनाव आयोग इसे अपनी बड़ी उपलब्धि बता रहा है वहीं सभी राजनीतिक दल परेशान हैं, यह सोच रहे हैं कि मतदाताओं की भागीदारी में यह बढ़ोतरी क्या संकेत देती है। सत्ताधारी पार्टी का कहना है कि रिकॉर्ड वोटिंग महिलाओं के वोटर्स के मज़बूत समर्थन का संकेत है - ठीक वैसे ही जैसे 2015 और 2020 में हुआ था - जो आम तौर पर NDA और खास तौर पर नीतीश कुमार के पक्ष में है। हालांकि, विपक्ष का दावा है कि यह बढ़ोतरी नीतीश के खिलाफ लोगों के गुस्से को दिखाती है, जिसमें वोटर सरकार बदलने की मांग कर रहे हैं।


नीतीश पर बढ़ा भरोसा 

पार्टी नेताओं ने कहा, “2015 में, 53.32% पुरुषों की तुलना में 60.48% महिलाओं ने वोट दिया था। 2020 में भी, 54.45% पुरुषों के मुकाबले 56.69% महिलाओं ने वोट डाला था। दोनों ही मौकों पर, जब महिलाओं ने पुरुषों से ज़्यादा वोट डाले, तो नीतीश मुख्यमंत्री बने। इस बार भी, महिलाओं के लिए उनके कल्याणकारी उपायों, जिसमें हाल ही में 10,000 रुपये का कैश ट्रांसफर भी शामिल है, ने एक बार फिर महिलाओं को बड़ी संख्या में NDA के लिए वोट देने के लिए आकर्षित किया है।”


बदलाव के लिए वोटिंग : तेजस्वी 

हालांकि, महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव की राय अलग है। उन्होंने कहा, “महिलाओं के लिए हमारी माई-बहन योजना में 14 जनवरी, मकर संक्रांति के शुभ दिन से सालाना 30,000 रुपये (2,500 रुपये प्रति माह) देने का वादा किया गया है। इसने महिलाओं को महागठबंधन के लिए वोट देने के लिए प्रोत्साहित किया है। इसके अलावा, युवा, जिनमें से कई पहली बार वोट डाल रहे हैं, एक ऐसी नई सरकार चाहते हैं जो रोज़गार दे और पलायन को रोके। रिकॉर्ड वोटिंग बदलाव के लिए वोट को दिखाती है।”


वोट प्रतिशत बढने के तीन कारण 

न्यूज़4नेशन के सम्पादक कौशलेन्द्र प्रियदर्शी का कहना है कि रिकॉर्ड वोटिंग के तीन मुख्य कारण हैं। "इसका मुख्य कारण बिहार में हुआ स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) है, जिससे वोटर्स की संख्या 7.9 करोड़ से घटकर 7.4 करोड़ हो गई। जब फर्जी वोटर्स को हटा दिया गया, तो वोटिंग परसेंटेज अपने आप बढ़ गया।" उन्होंने एक आसान कैलकुलेशन बताया। उन्होंने कहा, "पहले, अगर 100 में से 60 वोटर वोट डालते थे, तो टर्नआउट 60% होता था। SIR के बाद, अगर 10 फर्जी नाम हटा दिए गए, तो 90 वैलिड वोटर्स में से 60 वोट का मतलब होगा 66.66% का टर्नआउट।"


दूसरा बड़ा फैक्टर है टाइमिंग। चुनाव छठ पूजा के तुरंत बाद हुए, जब प्रवासी लोग पारंपरिक रूप से बिहार लौटते हैं। उन्होंने कहा, "इस बार उनमें से कई लोग वोट डालने के लिए बिहार में रुक गए। तीसरा फैक्टर है नवंबर का सुहाना मौसम। "लोकसभा चुनाव आमतौर पर अप्रैल और मई के उमस भरे गर्मी के महीनों में होते हैं, जबकि विधानसभा चुनाव नवंबर में होते हैं। मौसम का वोटर टर्नआउट पर बहुत बड़ा असर पड़ता है।"