Bihar Politics: चिराग पासवान बढ़ाएंगे बीजेपी की टेंशन ! मोदी के 'हनुमान' बिहार में करने जा रहे हैं गजब का काम, नीतीश भी हैरान

Bihar Politics: केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बीजेपी और नीतीश की टेंशन बढ़ा सकते हैं। चिराग की पार्टी अब चुनाव में अपना दमखम दिखाने के लिए मैदान में उतर गई है। पार्टी जल्द ही राज्यभर में एक सम्मेलन शुरु करने जा रही है...पढ़िए आगे..

चिराग पासवान
Chirag increase BJP Nitish tension- फोटो : social media

Bihar Politics:  बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां एक्शन मोड में है। अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए सभी पार्टी तैयारी में जुट गई है। एक ओर जहां महागठबंधन है तो वहीं दूसरी ओर एनडीए है। दोनों पक्षों के नेता 2025 में अपनी सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर गठबंधन में शामिल पार्टी भी खुद को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए तैयारी में जुट गई है। एक ओर जहां कांग्रेस के शीर्ष नेता बिहार में रैलियां कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर एनडीए में शामिल चिराग पासवान ने अपनी पार्टी की ओर से बहुजन भीम संकल्प समागम का आयोजन करने का ऐलान किया है। पार्टी ने शुक्रवार को हुए बैठक में फैसला लिया है कि वो राज्य के विभिन्न जिलों में बहुजन भीम संवाद कार्यक्रम का आयोजन करेगी। 

चिराग बढ़ाएंगे एनडीए की टेंशन 

वहीं चिराग पासवान की पार्टी का यह फैसला कहीं ना कहीं बीजेपी की टेंशन बढ़ाने लगी है। चिराग एनडीए में तो रहेंगे लेकिन अगल से बहुजन भीम सम्मेलन भी करेंगे। राजनीतिक जानकारों की मानें तो चिराग इसके माध्यम से एनडीए में शामिल दलों को अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं। ताकि जब 243 सीटों पर बंटवारा हो तो उनकी पार्टी मजबूत दिखे। चिराग की पार्टी ने दावा किया है कि उनकी पार्टी एनडीए के रहते हुए अपना स्वतंत्र पहचान के साथ भागीदारी निभाएगी।   

एनडीए में रहकर भी स्वतंत्र स्टैंड

सूत्रों के मुताबिक, ये संवाद कार्यक्रम चिराग पासवान के लिए आगामी विधानसभा चुनावों से पहले शक्ति प्रदर्शन का मंच बनेंगे। इसके जरिए लोजपा-आर न सिर्फ दलित और पिछड़े वर्गों में अपनी पैठ मजबूत करना चाहती है बल्कि भाजपा और जेडीयू को भी यह संकेत देना चाहती है कि सीट बंटवारे में उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।चिराग पासवान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी एनडीए का हिस्सा रहेगी, लेकिन वह गठबंधन के भीतर अपनी स्वतंत्र पहचान बनाए रखेगी। लोजपा-आर की इस रणनीति को एनडीए के भीतर "सॉफ्ट दबाव राजनीति" के रूप में देखा जा रहा है। दिल्ली से पटना तक राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें अब चिराग की इस नई चाल पर टिकी हैं। खासकर इसलिए भी क्योंकि भाजपा कुछ दिन पहले तक "सामूहिक अभियान" की बात कर रही थी, लेकिन अब लोजपा-आर 'बहुजन भीम संवाद' और भाजपा ‘निषाद समाज प्रमंडल सम्मेलन’ जैसे अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए समाजों को साधने में जुटी है।

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विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी में चिराग  

गौरतलब है कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने अकेले दम पर नीतीश की पार्टी जदयू को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया था। उन्होंने एनडीए से अलग होकर जदयू के खिलाफ उम्मीदवार खड़े किए, जिससे नीतीश कुमार की पार्टी को तीसरे स्थान पर जाना पड़ा। इस बार हालांकि चिराग एनडीए में हैं, लेकिन सीट बंटवारे को लेकर उनकी चिंता बनी हुई है। भाजपा और जेडीयू के बीच 100-101 सीटों के संभावित बंटवारे के बाद जो बची हुई 42-43 सीटें हैं। उनमें उपेंद्र कुशवाहा, जीतनराम मांझी और चिराग पासवान जैसे सहयोगी दलों को समायोजित करना भाजपा के लिए चुनौती बनता जा रहा है। लोजपा-आर यह संकेत दे रही है कि उसे “बाकी बची सीटों” में शामिल नहीं देखा जाए।

चिराग कर रहे दवाब की राजनीति 

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 'बहुजन भीम संवाद' चिराग पासवान की ऐसी रणनीति है जो भाजपा और जदयू को यह बताने के लिए है कि उन्हें सम्मानजनक हिस्सेदारी देनी होगी। खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘हनुमान’ बताने वाले चिराग अब गठबंधन के भीतर ‘ढाई चाल’ चलने लगे हैं न तो पूरी तरह से टकराव, न पूरी तरह समर्पण। चिराग पासवान के इस चाल से बीजेपी के साथ साथ जदयू की भी टेंशन बढ़ सकती है। चिराग ने लोकसभा चुनाव में भी अपनी ताकत को दिखाया था। लोकसभा चुनाव में उन्हें 5 सीट मिली थी और पांचवों सीट पर चिराग पासवान और उनके उम्मीदवारों ने जीत का झंडा फहराया था। वहीं अब विधानसभा चुनाव में भी चिराग की कोशिश रहेगी कि उन्हें एनडीए  में अधिक सीट मिलें।