Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार चुनाव में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ीं, सर्वे, रणनीति और तैयारी के बावजूद गंवाईं दो सीटिंग सीटें

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों में कांग्रेस पार्टी ने कोई कसर नहीं छोड़ी।बावजूद इसके, पार्टी न तो अपने सहयोगियों से कोई मजबूत सीट ले पाई और न ही अपनी स्थिति को सुदृढ़ बना सकी।

Congress faces setback in Bihar polls
बिहार चुनाव में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ीं- फोटो : social Media

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों में कांग्रेस पार्टी ने कोई कसर नहीं छोड़ी। पार्टी ने पिछले चार महीनों में व्यापक सर्वे कराया, मजबूत सीटों की पहचान की और जिलाध्यक्षों से फीडबैक लिया। पटना के गर्दनीबाग विधायक आवास में बने कांग्रेस के वार रूम ने तीन महीने पहले से ही काम शुरू कर दिया था। बावजूद इसके, पार्टी न तो अपने सहयोगियों से कोई मजबूत सीट ले पाई और न ही अपनी स्थिति को सुदृढ़ बना सकी। उल्टे, दो सीटिंग सीटें भी गंवानी पड़ीं।

दरअसल, राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा जरूर भरी, लेकिन सीट बंटवारे की राजनीति में कांग्रेस पिछड़ गई। प्रदेश नेतृत्व ने यह दावा किया था कि पार्टी इस बार “मजबूत सीटों पर लड़कर स्ट्राइक रेट बढ़ाएगी।” लेकिन हकीकत यह है कि कांग्रेस ज्यादातर उन्हीं सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जहां वह 2020 में मैदान में थी।

इस बार कांग्रेस 61 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि 2020 में उसने 70 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। छोड़ी गई सीटों में पार्टी की दो सीटिंग सीटें  महाराजगंज और जमालपुर  भी शामिल हैं। दोनों ही क्षेत्रों में कांग्रेस विधायकों को टिकट नहीं मिला, और यह सीटें सहयोगियों के खाते में चली गईं। इसके अलावा, 12 अन्य सीटें, जिन पर पिछली बार कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर था, वे भी पार्टी ने त्याग दीं।

नई रणनीति के तहत कांग्रेस को बिहारशरीफ, बनमनखी और कुम्हरार जैसी सीटें मिली हैं, जहां उसका जनाधार अपेक्षाकृत कमजोर माना जाता है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, पार्टी का यह निर्णय संगठन की जमीनी सच्चाई से मेल नहीं खाता।महागठबंधन के भीतर भी कांग्रेस के लिए मुश्किलें कम नहीं हैं। कुल 11 सीटों पर सहयोगी दलों के साथ सीधा मुकाबला है। इनमें 10 सीटों पर कांग्रेस को अपने ही साथियों ने घेर रखा है 

राजद बनाम कांग्रेस की टक्कर 5 सीटों पर, भाकपा बनाम कांग्रेस की टक्कर 4 सीटों पर, और 1 सीट पर आईआईपी बनाम कांग्रेस का सीधा मुकाबला है।इन सीटों पर आंतरिक मतभेद और संगठनात्मक असंतुलन कांग्रेस के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकते हैं।

राजनीतिक पंडितों का मानना है कि बिहार में कांग्रेस की सबसे बड़ी चुनौती सहयोगी दलों के बीच अपनी प्रासंगिकता बनाए रखना है। पार्टी की तैयारी, सर्वे और कैम्पेन भले मजबूत रहे हों, लेकिन सीट बंटवारे की सियासत में कांग्रेस फिर कमजोर खिलाड़ी साबित हुई है।