Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए कांग्रेस पार्टी ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। इस बार कांग्रेस का मुख्य ध्यान दलित वोट बैंक पर केंद्रित है, जिससे वह अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करना चाहती है। इसके लिए पार्टी ने युवा नेता कृष्णा अलावरू को बिहार कांग्रेस का नया प्रभारी नियुक्त किया है, जो राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं। यह कदम इस बात का संकेत है कि कांग्रेस अपने संगठन को मजबूत करने और चुनाव में एक अलग पहचान बनाने की कोशिश कर रही है।कांग्रेस नेतृत्व लगातार दलित समाज से जुड़े कार्यक्रमों में भाग ले रहा है। मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी जैसे शीर्ष नेता दलित समुदाय के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए विभिन्न जनसभाओं का आयोजन कर रहे हैं। इन सभाओं का उद्देश्य ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान’ जैसे नारों के माध्यम से दलित वोटरों को आकर्षित करना है। इससे पहले भी राहुल गांधी ने दलित समाज से जुड़े कार्यक्रमों में भाग लिया था, जो उनकी रणनीति का हिस्सा हैं।बिहार में इस बार हो रहे चुनाव से जुड़े कांग्रेस के कुछ मुद्दों पर, सबसे आश्चर्य भरा प्रश्न यही सामने आया है कि कांग्रेस जितनी सीटों की मांग कर रही है राजद उतना देने को तैयार नहीं है। वहीं बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों के मामले में कांग्रेस समझौते के मूड में नहीं दिख रही है तो राजद ने भी अपने तेवर तल्ख कर रखे हैं।
विधानसभा चुनाव की तैयारियों और सीट बंटवारे पर राजद और दूसरे घटक दलों के साथ बातचीत से पहले पार्टी ने एक आंतरिक सर्वे कराया है। करीब एक माह पहले हुए इस सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस को सीट की संख्या के बजाय जीत की संभावना वाली सीट पर चुनाव लड़ना है। करीब पांच दर्जन सीट पर पार्टी के पास संगठन और बेहतर उम्मीदवार है। गठबंधन में सीट बंटवारे पर चर्चा के दौरान पार्टी सिर्फ उन सीट पर अपनी दावेदारी जताएगी, जहां जीत की संभावनाएं हैं। इसके लिए कुछ सीट की अदला-बदली भी की जा सकती है।
पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2020 में कांग्रेस का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था। राजद ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 75 सीटें जीती थीं। वहीं, कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी थी और केवल 19 सीटें ही जीत पाई थी। वाम दलों, ने भी अच्छा प्रदर्शन किया था। इससे राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगी थी कि अगर राजद ने कांग्रेस की बजाय वाम दलों को अधिक सीटें दी होती, तो शायद महागठबंधन सरकार बना लेता। यही कारण है कि कांग्रेस इस बार पहले से ही अपनी दावेदारी पेश कर रही है।
बहरहाल राजद के नेता लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को इस बात की चिंता हो सकती है कि अगर कांग्रेस अपनी अलग रणनीति अपनाती है तो इससे उनकी स्थिति कमजोर हो सकती है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें उसे केवल 19 सीटें मिली थीं। अब राजद को लगता है कि अगर कांग्रेस फिर से कमजोर प्रदर्शन करती है तो यह उनके लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।