Govindganj Assembly Seat: कभी कांग्रेस का गढ़, अब भाजपा का मजबूत किला

Govindganj Assembly Seat

Govindganj Assembly Seat: बिहार के पूर्वी चंपारण जिले की गोविंदगंज विधानसभा सीट ने समय के साथ कई राजनीतिक बदलाव देखे हैं। एक समय कांग्रेस का अटूट गढ़ मानी जाने वाली यह सीट अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पाले में है। वर्तमान में भाजपा के सुनील मणि त्रिपाठी यहां के विधायक हैं।

1952 से 1967 तक लगातार कांग्रेस का कब्जा इस सीट पर रहा। लेकिन 1980 के बाद से कांग्रेस कभी इस सीट पर जीत नहीं दोहरा पाई। इस गिरावट के बाद इस सीट पर क्षेत्रीय दलों और गठबंधन की राजनीति का वर्चस्व बढ़ा। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुनील मणि त्रिपाठी ने कांग्रेस के ब्रजेश कुमार को 27,924 मतों से हराया, यह एकतरफा मुकाबला माना गया। इससे पहले 2015 में भी कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली थी, जब लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के राजू तिवारी ने कांग्रेस के ब्रजेश कुमार को ठीक इतने ही अंतर – 27,920 वोटों – से हराया था।

इस सीट पर जेडीयू की मीना द्विवेदी का दौर भी खासा प्रभावी रहा। उन्होंने 2005 के दोनों चुनावों और 2010 में जीत दर्ज कर हैट्रिक बनाई। इससे पहले उनके पति भूपेंद्र नाथ दुबे 1998 के उपचुनाव में विधायक चुने गए थे और 1995 में भूपेंद्र के भाई देवेंद्र नाथ दुबे ने इस सीट से जीत दर्ज की थी। हालांकि, 2015 में जेडीयू ने यह सीट गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को दे दी, और मीना द्विवेदी को टिकट नहीं मिला।

अब तक इस सीट पर कुल 18 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें कांग्रेस ने 7 बार, जेडीयू ने 3 बार, निर्दलीय उम्मीदवारों ने 2 बार, और एलजेपी, समता पार्टी, जनता दल, जनसंघ तथा एजीपी ने एक-एक बार जीत दर्ज की है। गोविंदगंज विधानसभा सीट की संख्या 14 है और यह पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। 2008 के परिसीमन के बाद इसमें अरेराज, पहाड़पुर, पश्चिम व पूर्वी संग्रामपुर और दक्षिणी बरियारिया को शामिल किया गया।

यह सीट मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्र में स्थित है, जहां 92.98% मतदाता ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं। कुल जनसंख्या में 11.42% अनुसूचित जाति, 14.5% मुस्लिम और 0.19% अनुसूचित जनजाति के मतदाता शामिल हैं। ब्राह्मण, भूमिहार और मुस्लिम वोटर यहां चुनावी नतीजों को काफी हद तक प्रभावित करते हैं। पिछले दो चुनावों में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से अधिक रहा है। 2015 में यहां 56.4% मतदान हुआ था, जो 2010 की तुलना में 5% अधिक था।

2020 में गोविंदगंज के चुनावी परिदृश्य में गंडक नदी की बाढ़ एक बड़ा मुद्दा बना रहा। इसके अलावा गंडक के दियारा क्षेत्रों में सड़क निर्माण और बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर भी जनता में व्यापक असंतोष देखने को मिला।