Bihar Vidhansabha chunav 2025: जेल में बंद रीतलाल की बेटी ने संभाला चुनाव कमान, लालू यादव के चुनावी शंखनाद से गरमाई सियासत, दानापुर में दिलचस्प दंगल
Bihar Vidhansabha chunav 2025: रंगदारी के मामले में जेल में बंद विधायक रीतलाल यादव की गैरहाजिरी में उनकी बेटी ने पिता के लिए जनता से वोट की अपील की।
                            Bihar Vidhansabha chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के सियासी दंगल में सोमवार को पहली बार राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव मैदान में उतरे। उन्होंने दानापुर विधानसभा से आरजेडी प्रत्याशी रीतलाल यादव के समर्थन में जोरदार रोड शो किया। लालू का यह रोड शो दीघा से शुरू होकर नासिरगंज, दानापुर बाजार, छावनी होते हुए खगौल तक करीब 15 किलोमीटर लंबा चला। पूरे रास्ते में हजारों समर्थकों की भीड़ उमड़ी, जिन्होंने लालू जिंदाबाद और जय राजद के नारे लगाए।
इस रोड शो की सबसे बड़ी तस्वीर थी रीतलाल यादव की 16 वर्षीय बेटी श्वेता, जो अपने पिता की गैरमौजूदगी में चुनावी कमान संभाले नजर आईं। रंगदारी के मामले में जेल में बंद विधायक रीतलाल यादव की गैरहाजिरी में उनकी बेटी ने पिता के लिए जनता से वोट की अपील की। श्वेता एक कार के ऊपर खड़ी होकर हाथ जोड़तीं, मुस्कुरातीं और लोगों से कहतीं कि पापा निर्दोष हैं, उन्हें साज़िश के तहत फंसाया गया है, जनता ही उन्हें न्याय दिला सकती है।
श्वेता फिलहाल कक्षा 11वीं की छात्रा हैं, लेकिन पिता की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने किताबों की जगह चुनावी पोस्टर संभाल लिए हैं। वे कहती हैं कि मुझे राजनीति पसंद नहीं है, न कभी राजनीति में आने की चाहत है। लेकिन आज पापा बुरे वक्त से गुजर रहे हैं। मैं सिर्फ उनके लिए सड़क पर उतरी हूं।
दानापुर विधानसभा सीट इस बार बिहार की सबसे हॉट सीटों में से एक बन चुकी है। एक ओर एनडीए से पूर्व सांसद रामकृपाल यादव, तो दूसरी ओर महागठबंधन से राजद के मौजूदा विधायक रीतलाल यादव आमने-सामने हैं। दोनों यादवों की यह लड़ाई दानापुर की गलियों से लेकर पटना के सियासी गलियारों तक चर्चा में है।
रोड शो के दौरान लालू यादव ने जनता से अपील की कि रीतलाल जनता के नेता हैं, गरीबों की आवाज़ हैं, और विरोधियों ने उन्हें साज़िश के तहत फंसाया है। उनके साथ गाड़ी में दीघा विधानसभा सीट से सीपीआई उम्मीदवार दिव्या गौतम भी नज़र आईं, जो महागठबंधन की एकजुटता का प्रतीक थीं।
रीतलाल की बेटी श्वेता ने अंत में कहा कि मेरे लिए इस वक्त सबसे जरूरी मेरे पापा हैं। अगर वो चुनाव नहीं जीते तो विरोधी और गंदे तरीके से उन्हें फंसाएंगे। मुझे डर है कि हमारे परिवार के साथ कुछ भी हो सकता है। लेकिन मुझे भरोसा है जनता हमारे साथ है और पापा इस बार भी भारी मतों से जीतेंगे।
बहरहाल दानापुर की हवा में अब भावनाओं का रंग घुल गया है जहां एक तरफ जेल में बंद पिता की लड़ाई है, तो दूसरी तरफ बेटी की आंखों में न्याय और उम्मीद का सपना।