Bihar Vidhansabha Chunav 2025 : शिवहर और बेलसंड में जदयू को तगड़ा झटका, प्रदेश महासचिव राणा रणधीर सिंह चौहान और पूर्व विधायक सरफुद्दीन ने की हाथी की सवारी
Bihar Vidhansabha Chunav 2025 : शिवहर और बेलसंड में जदयू को तगड़ा झटका लगा है. जदयू के प्रदेश महासचिव और बेतिया जिले के प्रभारी राणा रणधीर सिंह चौहान ने बसपा का दामन थमते हुए...

Bihar Vidhansabha Chunav 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव के बीच शिवहर और बेलसंड सीट पर एनडीए को बड़ा झटका लगा है। जदयू के प्रदेश महासचिव और बेतिया जिले के प्रभारी राणा रणधीर सिंह चौहान ने पार्टी छोड़ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का दामन थाम लिया है और सोमवार को अपना नामांकन दाखिल किया। चौहान की पत्नी सुनीता सिंह चौहान तीन बार बेलसंड से विधायक रह चुकी हैं, जिनमें से दो बार उन्होंने जदयू के टिकट पर जीत हासिल की थी।इस बार आख़िरी क्षणों में बेलसंड सीट लोक जनशक्ति पार्टी (रा) के खाते में चली गई, जिससे असंतोष की स्थिति उत्पन्न हुई। चौहान का बेलसंड ही नहीं, बल्कि शिवहर विधानसभा क्षेत्र में भी मजबूत जनाधार है। नामांकन दाखिल करते ही एनडीए की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
राणा रणधीर सिंह चौहान ने मीडिया से कहा, “मैंने जदयू नहीं छोड़ा, बल्कि जदयू के कुछ बाहरी नेताओं ने मेरे साथ धोखा किया। मुझे लगातार उम्मीदवार बनाए जाने का भरोसा दिया गया, लेकिन अंतिम समय में सीट किसी और के खाते में दे दी गई।” उन्होंने बसपा से चुनाव लड़ने के अपने फैसले को जनता के विश्वास और सम्मान की लड़ाई बताया।
उधर, शिवहर विधानसभा से भी जदयू को एक और बड़ा झटका लगा है। यहां दो बार के पूर्व विधायक मोहम्मद सरफुद्दीन, जिन्हें पहले जदयू का टिकट मिलने की संभावना थी, ने बसपा से नामांकन दाखिल कर दिया है। बताया जा रहा है कि अंतिम समय में जदयू ने उनका टिकट काटकर डॉ. श्वेता को प्रत्याशी बना दिया, जो सीतामढ़ी के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. वरुण कुमार की पत्नी हैं।
मोहम्मद सरफुद्दीन ने कहा, “मुझे टिकट को लेकर खुद मुख्यमंत्री आवास से फोन गया था, लेकिन बाद में अचानक टिकट काटकर बाहरी उम्मीदवार को दे दिया गया। यह मेरे साथ साफ़ अन्याय है।”सरफुद्दीन की क्षेत्र में मुस्लिम और अन्य समुदायों के बीच अच्छी पकड़ रही है, जबकि राणा रणधीर सिंह चौहान का अपना ठोस वोट बैंक है। दोनों के बसपा से मैदान में उतरने के बाद एनडीए के समीकरण पूरी तरह से उलझ गए हैं।
अब शिवहर और बेलसंड की सियासत बेहद दिलचस्प और जटिल बन गई है। एनडीए के भीतर असंतोष बढ़ने से विपक्षी खेमे में उत्साह है, और बसपा ने इन दो उम्मीदवारों के सहारे इस बार बिहार की सियासत में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने का पूरा दांव खेला है।
शिवहर से मनोज कुमार