Bihar Vidhansabha Chunav 2025: प्रशांत किशोर की जनसुराज के एक ही सीट से 2 प्रत्याशियों ने किया नामांकन, सियासी गलियारों में मचा घमासान
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: जन सुराज पार्टी के भीतर भी दिलचस्प स्थिति बन गई है। नामांकन के अंतिम दिन जन सुराज के दो प्रत्याशियों ने एक ही सिंबल पर नामांकन दाखिल कर दिया...

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: मोतीहारी की गोविंदगंज विधानसभा सीट इन दिनों सियासी सुर्खियों में है। यहां न केवल एनडीए गठबंधन की अंदरूनी कलह चर्चा में है, बल्कि अब जन सुराज पार्टी के भीतर भी दिलचस्प स्थिति बन गई है। सोमवार को नामांकन के अंतिम दिन जन सुराज के दो प्रत्याशियों ने एक ही सिंबल पर नामांकन दाखिल कर दिया, जिसके बाद राजनीतिक माहौल गरम हो गया है। दोनों उम्मीदवार कृष्णा मिश्र और कमलेश कांत गिरी ने एक ही पार्टी के सिंबल पर नामांकन किया है और अब दावा ठोक रहे हैं कि आधिकारिक प्रतीक (सिंबल) उन्हीं को मिलेगा।
नामांकन प्रक्रिया के दौरान दोनों उम्मीदवारों ने अपने-अपने समर्थकों के साथ अरेराज अनुमंडल कार्यालय पहुंचकर एसडीओ सह निर्वाची पदाधिकारी अरुण कुमार पांडेय के समक्ष नामांकन दाखिल किया। दिलचस्प बात यह रही कि दोनों के नामांकन पत्रों पर सिंबल की तारीख एक ही दर्ज है। आज नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी के बाद यह तय होगा कि किसका नामांकन वैध माना जाएगा और कौन जन सुराज का असली उम्मीदवार होगा।
राजनीतिक गलियारों में इस पूरे घटनाक्रम को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। लोग इसे “जन सुराज का फ्रेंडली मैच” कहकर चुटकी ले रहे हैं। माना जा रहा है कि इस घटनाक्रम ने जन सुराज के अंदर भी एक नई खींचतान पैदा कर दी है।वहीं दूसरी ओर, गोविंदगंज सीट पर एनडीए के भीतर भी कलह खुलकर सामने आ गई है। इस सीट पर भाजपा के सिटिंग विधायक का टिकट काटकर सीट लोजपा (रामविलास) के खाते में दे दी गई, जिसके बाद नाराज विधायक ने अपने आवास पर कार्यकर्ताओं की बैठक कर गठबंधन प्रत्याशी का खुलकर विरोध करने का ऐलान कर दिया। उन्होंने यहां तक कह दिया — “जिसने सामने से खाना छीना है, उसे खाने नहीं देंगे।”
नामांकन सभा में भी लोजपा (आर) प्रत्याशी के मंच पर भाजपा के किसी बड़े नेता की मौजूदगी नहीं दिखी, जिससे असंतोष और स्पष्ट हो गया। हालांकि राजनीतिक पंडितों का कहना है कि शीर्ष नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद यह विवाद थम सकता है।गोविंदगंज सीट, जो एनडीए में लोजपा (रामविलास) के खाते में गई है, वहीं इंडिया गठबंधन की ओर से कांग्रेस ने उम्मीदवार उतारा है। लेकिन फिलहाल सारी निगाहें जन सुराज के उस फैसले पर टिकी हैं जो यह तय करेगा कि एक ही सिंबल पर दो-दो दावेदारों में कौन मैदान में टिकेगा और कौन बाहर होगा।मोतीहारी की यह लड़ाई अब सिर्फ़ राजनीतिक नहीं, बल्कि प्रतिष्ठा और प्रतीक दोनों की परीक्षा बन गई है।
रिपोर्ट- हिमांशु कुमार