Raid at Ritlal Yadav house: राजद विधायक रीतलाल यादव के ठिकानों पर छापेमारी, दानापुर की सियासत में तूफान

भागलपुर जेल में बंद रहने के बावजूद रीतलाल यादव की सियासी पकड़ कम नहीं हुई है, मगर अब पटना के खगौल इलाके में उनके ठिकानों पर पुलिस की छापेमारी ने माहौल को पूरी तरह सियासी बना दिया है।..

Raid at Ritlal Yadav house
राजद विधायक रीतलाल यादव के ठिकानों पर छापेमारी- फोटो : social Media

Raid at Ritlal Yadav house:बिहार विधानसभा चुनाव के बीच दानापुर की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। राष्ट्रीय जनता दल के विवादित  विधायक रीतलाल यादव इस बार भी सुर्ख़ियों में हैं। भागलपुर जेल में बंद रहने के बावजूद रीतलाल यादव की सियासी पकड़ कम नहीं हुई है, मगर अब पटना के खगौल इलाके में उनके ठिकानों पर पुलिस की छापेमारी ने माहौल को पूरी तरह सियासी बना दिया है।

खगौल थाना क्षेत्र के कोथवां गांव में पुलिस का भारी जमावड़ा देखा गया। बताया जा रहा है कि पुलिस ने विधायक रीतलाल यादव के आवास, रिश्तेदार श्रवण राय, साले चिकू और मंटू के घरों पर एक साथ छापेमारी की। यह कार्रवाई चुनाव से जुड़ी शिकायतों के बाद की गई बताई जा रही है। पुलिस को सूचना मिली थी कि राजद प्रत्याशी के समर्थक स्थानीय मतदाताओं को डराने-धमकाने के साथ पैसे और लालच का हथियार इस्तेमाल कर रहे हैं।

थानाध्यक्ष राजकुमार सिंह के मुताबिक़, “हमें लोगों से शिकायत मिली थी कि कुछ व्यक्ति मतदाताओं को राजद के पक्ष में वोट देने के लिए दवाब बना रहे हैं। इसी आधार पर स्टेशन डायरी दर्ज कर छापेमारी की गई है।” हालांकि, पुलिस के पहुंचने से पहले तीनों आरोपी अपने घरों से गायब हो गए।

वहीं दूसरी ओर, विधायक रीतलाल यादव की पत्नी रिंकू देवी ने इस पूरे घटनाक्रम को “राजनीतिक साज़िश” करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार चुनावी मैदान में राजद के बढ़ते जनसमर्थन से बौखला गई है। रिंकू देवी ने कहा, “सरकार हमारे परिवार और समर्थकों को डरा-धमका कर मनोबल तोड़ना चाहती है। लेकिन वे भूल गए हैं कि दानापुर की जनता रीतलाल राय के साथ चट्टान की तरह खड़ी है। उनके मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे।”

रिंकू देवी ने आगे कहा कि “जब से चुनावी बिगुल बजा है, सत्ता पक्ष हमारे प्रत्याशी के ख़िलाफ़ षड्यंत्र रच रहा है। पुलिस प्रशासन का इस्तेमाल कर जनता को गुमराह किया जा रहा है। यह लोकतंत्र की हत्या है।”

राजद खेमे में इस कार्रवाई को लेकर नाराज़गी साफ़ दिख रही है। पार्टी के कई स्थानीय नेताओं ने इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” बताया और कहा कि यह छापेमारी जनता के बीच राजद की लोकप्रियता को नहीं रोक सकती।

जानकार मानते हैं कि यह कार्रवाई सिर्फ़ एक “लॉ एंड ऑर्डर” इश्यू नहीं, बल्कि बिहार की सियासत में बढ़ती टक्कर और दबाव की झलक है। जैसे-जैसे मतदान नज़दीक आ रहा है, वैसे-वैसे आरोप-प्रत्यारोप और छापेमारियों का दौर तेज़ होता जा रहा है।दानापुर की जंग अब सिर्फ़ वोटों की नहीं रही, बल्कि यह इज़्जत  की लड़ाई बन चुकी है। रीतलाल यादव भले जेल के भीतर हों, लेकिन उनकी मौजूदगी अब भी सियासी हलकों में महसूस की जा रही है।