Bihar Vidhansabha Chunav 2025: सीट शेयरिंग पर बनी बात! महागठबंधन की अंदरूनी सियासत में कौन कितना ताकतवर? जानिए

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: महागठबंधन के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर चली आ रही कशमकश अब निर्णायक मोड़ पर है। ...

Bihar Vidhansabha Chunav 2025
महागठबंधन की अंदरूनी सियासत में कौन कितना ताकतवर? - फोटो : reporter

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार में इस वर्ष के अंत में संभावित विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक तापमान लगातार चढ़ता जा रहा है। महागठबंधन के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर चली आ रही कशमकश अब निर्णायक मोड़ पर है। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो 243 सीटों में से आरजेडी को 140, कांग्रेस को 42, वाम दलों को 35 और वीआईपी को 15 सीटें दी जा सकती हैं। हालांकि, यह फॉर्मूला अभी अंतिम रूप में नहीं है और कुछ सीमित प्लस-माइनस की संभावना बरकरार है।

2024 के लोकसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन के भीतर सीटों का बंटवारा अपेक्षाकृत संतुलित रहा था, और अब विधानसभा चुनाव में उसी ढांचे पर आगे बढ़ने की रणनीति अपनाई जा रही है। 2020 में कांग्रेस जहां 70 सीटों पर लड़ी थी, इस बार उसे घटाकर 52 सीटें दी जा सकती हैं, जो उसके क्षेत्रीय प्रदर्शन को देखते हुए यथार्थवादी माना जा रहा है।

इस फॉर्मूले के तहत सीपीआई (एमएल), सीपीएम और सीपीआई को कुल मिलाकर 35 सीटें देने की बात है, जो 2020 में मिली 29 सीटों से बढ़ोतरी मानी जाएगी। यह वाम दलों के जनाधार में आई वृद्धि और उनके सामाजिक मुद्दों पर आधारित आंदोलनात्मक राजनीति का प्रतिफल भी है। वहीं वीआईपी को 15 सीटें देना यह संकेत देता है कि महागठबंधन छोटे सहयोगियों को भी सम्मान देने की रणनीति अपना रहा है।

तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता को महागठबंधन की केंद्रबिंदु माना जा रहा है। उनके नेतृत्व में सीट बंटवारे की बातचीत न केवल शांतिपूर्ण ढंग से आगे बढ़ी है, बल्कि यह भी स्पष्ट संकेत दे रही है कि मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर कोई मतभेद नहीं है। वीआईपी के प्रवक्ता द्वारा तेजस्वी को मुख्यमंत्री और मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री बताना गठबंधन की आंतरिक समझ को दर्शाता है।

कांग्रेस और वाम दलों के प्रतिनिधियों द्वारा "सब कुछ स्मूथ" और "ऑल इज़ वेल" जैसा बयान देना दर्शाता है कि औपचारिक घोषणा से पहले राजनीतिक सौजन्यता और संतुलन बनाए रखने की गहरी रणनीति अपनाई जा रही है। सीट बंटवारे का यह खाका यदि जमीन पर उतरता है, तो महागठबंधन एक संगठित और लक्ष्यबद्ध चुनौती बनकर एनडीए के सामने खड़ा हो सकता है।