Bihar Vidhansabha Chunav 2025: चेरिया बरियारपुर में सियासी संग्राम, बाढ़, बेरोजगारी और जातीय समीकरण के बीच राजद -बीजेपी में कांटे की टक्कर, जानें इस सीट का समीकरण और वोटिंग डेट
Bihar Vidhansabha Chunav 2025:महागठबंधन ने इस बार बड़ा दांव खेलते हुए सीटिंग विधायक राजवंशी महतो का टिकट काट दिया है और उनकी जगह पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह के पुत्र सुशील कुमार को मैदान में उतारा है।
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं, और चेरिया बरियारपुर विधानसभा सीट इस बार फिर से राजनीतिक हलचल का केंद्र बनी हुई है। बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों में से एक यह सीट फेज-1 में मतदान के लिए जाएगी 6 नवंबर को वोटिंग और 14 नवंबर को मतगणना होगी।
यह क्षेत्र कोसी और गंडक नदियों के बीच स्थित है, जो हर साल आने वाली बाढ़ और तबाही के लिए जाना जाता है। लगातार जलभराव और फसल नुकसान के कारण यहां के किसान और आम जनता रोज़गार की तलाश में पलायन को मजबूर होते हैं। यही कारण है कि इस बार का चुनाव विकास बनाम बेरोजगारी और राहत व्यवस्था की नाकामी के मुद्दे पर टिका हुआ है।चुनावी समीकरण की बात करें तो यादव, मुस्लिम, कुर्मी और पासवान समुदाय के मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। लगभग 40 फीसदी यादव-मुस्लिम वोट बैंक के चलते राजद को पारंपरिक बढ़त मिलती रही है, जबकि बीजेपी ने मंदिर विकास योजनाओं और स्थानीय संपर्क अभियानों के ज़रिए अपनी जड़ें मजबूत करने की कोशिश की है।
महागठबंधन ने इस बार बड़ा दांव खेलते हुए सीटिंग विधायक राजवंशी महतो का टिकट काट दिया है और उनकी जगह पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह के पुत्र सुशील सिंह कुशवाहा को मैदान में उतारा है। सुशील कुमार ने कहा कि 20 साल में जो काम नीतीश नहीं कर पाए, वो तेजस्वी यादव 20 महीने में करके दिखाएंगे ।सुशील सिंह कुशवाहा ने कहा कि हमारी सरकार बनी तो हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिलाने का कानून बनेगा।
सुशील सिंह कुशवाहा ने कहा कि रोज़गार की कमी, अपराध और शिक्षा-स्वास्थ्य व्यवस्था की दुर्दशा सबसे बड़ी चुनौती है। उनका कहना है कि बिहार में अगर बेरोजगारी मिटा सकती है तो वह महागठबंधन की तेजस्वी सरकार ही है।
सुशील सिंह कुशवाहा बाढ़ नियंत्रण, राहत योजनाओं और महिला सुरक्षा को मुख्य मुद्दा बना रहे हैं।वहीं चेरिया बरियारपुर की चुनावी कहानी बेहद उतार-चढ़ाव भरी रही है। 1977 से अब तक 11 बार चुनाव हो चुके हैं और हर बार सत्ता का समीकरण बदलता रहा है।
1977-85: कांग्रेस का दबदबा
1990-95: जनता दल की जीत
2005: लोजपा का उभार
2010-15: जेडीयू का पलड़ा भारी
2000 और 2020: राजद की शानदार जीत
2020 के चुनाव में राजद के राजवंशी महतो ने जेडीयू की मंजू वर्मा को 40,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया था। इस बार वही सीट फिर चर्चे में है, जहां राजनीतिक तापमान और जातीय समीकरण दोनों चरम पर हैं।चेरिया बरियारपुर में इस बार का मुकाबला न सिर्फ राजद बनाम एनडीए, बल्कि विकास बनाम अव्यवस्था की कहानी भी बयान कर रहा है।