Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार के इन 10 सीटों पर होगी असली सियासी जंग, 1000 वोट से भी कम अंतर ने पिछले चुनाव में पलट दिया था खेल, यहां तय हो सकती है सरकार की किस्मत

इस बार सबकी नज़र उन 10 सीटों पर टिकी है, जहाँ 2020 में जीत का अंतर 1000 वोट से भी कम रहा था और जहां से सरकार की किस्मत तय हो सकती है।

Bihar Vidhansabha Chunav 2025
बिहार के इन 10 सीटों पर होगी असली सियासी जंग- फोटो : social Media

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मी अपने चरम पर है। दोनों गठबंधन  एनडीए और आईएनडीआईए  के दिग्गज नेता मैदान में उतर चुके हैं। हर पार्टी अपनी जीत के दावे कर रही है, तो मतदाता अपने-अपने समीकरण साधने में लगे हैं।इस बार की लड़ाई इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि पहले चरण का मतदान 6 नवंबर और दूसरे चरण का 11 नवंबर को होना है, जबकि 14 नवंबर को मतगणना होगी। लेकिन इस बार सबकी नज़र उन 10 सीटों पर टिकी है, जहाँ 2020 में जीत का अंतर 1000 वोट से भी कम रहा था  और जहां से सरकार की किस्मत तय हो सकती है।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2020 के चुनाव में अगर 12 सीटें और राजद गठबंधन के खाते में जातीं, तो आज तस्वीर कुछ और होती। यही वजह है कि इस बार इन सीटों पर मुकाबला रोमांचक और निर्णायक दोनों है।

कुढ़नी (मुजफ्फरपुर): राजद के अनिल कुमार सहनी ने भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता को सिर्फ 712 वोटों से हराया था।

हिलसा: जदयू के कृष्णमुरारी शरण ने राजद के अतरी मुनि को महज़ 12 वोटों से मात दी — यह बिहार की सबसे कांटे की टक्कर मानी गई।

रामगढ़: राजद के सुधाकर सिंह ने बसपा के अंबिका सिंह को 189 वोटों से हराया।

 बरबीघा: जदयू के सुदर्शन कुमार ने कांग्रेस के गजानंद सहनी को 113 वोटों से शिकस्त दी।

 डेहरी: राजद के फते बहादुर सिंह ने भाजपा के सत्यनारायण सिंह को 464 वोटों से पराजित किया।

 भोरे: जदयू के सुनील कुमार ने भाकपा (माले) के जीतेंद्र पासवान को 462 वोटों से हराया।

 बछवाड़ा: भाजपा के सुरेंद्र मेहता ने भाकपा के अवधेश कुमार राय को 484 वोटों से पछाड़ा।

 बखरी: भाकपा के सूर्यकांत पासवान ने भाजपा के रामशंकर पासवान को 777 वोटों से हराया।

 परबत्ता: जदयू के डॉ. संजीव कुमार ने राजद के दिगंबर प्रसाद तिवारी को 951 वोटों से हराया।

 चकाई: निर्दलीय सुमित कुमार सिंह ने राजद की सावित्री देवी को 581 वोटों से मात दी।

इस बार इन सभी सीटों पर नब्ज़ पकड़ने की होड़ मची है।2020 की तरह 2025 में भी बिहार का फैसला शायद कुछ सैकड़ों वोटों से तय हो जाए — और यही वोट बनेंगे सत्ता की चाबी।