Sitamarhi Assemply Seat: भाजपा और राजद के बीच जुड़ी जंग और ऐतिहासिक बदलाव
सीतामढ़ी विधानसभा सीट का इतिहास कई राजनीतिक दलों की भागीदारी से भरा हुआ है। जानें भाजपा और राजद की लड़ाई, 2015 और 2020 चुनाव परिणाम, और जातीय समीकरण।

सीतामढ़ी: बिहार की सीतामढ़ी विधानसभा सीट एक ऐतिहासिक सीट रही है, जहां हर पार्टी ने चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की है। इस सीट का इतिहास बहुत दिलचस्प है, क्योंकि यहां कई बार सत्ता परिवर्तन होते रहे हैं। सबसे पहले 1957 में इस सीट पर सोशलिस्ट पार्टी के दामोदर झा ने जीत हासिल की थी, और इसके बाद अन्य प्रमुख दलों का भी यहां प्रभाव रहा।
सीतामढ़ी विधानसभा सीट की पहचान सबसे पहले 1957 में हुई थी, जब यहां दो सीटें थीं — सीतामढ़ी उत्तर और सीतामढ़ी दक्षिण। 1957 में उत्तर सीट पर कांग्रेस के कुलदीप नारायण यादव और दक्षिण सीट पर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के राम सेवक सरन जीते थे। इसके बाद, इस सीट पर कांग्रेस, जनता दल, सीपीआई, और भाजपा जैसी पार्टियां अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रही हैं। भाजपा के गढ़ के रूप में उभरी इस सीट पर 2003 से भाजपा का दबदबा रहा था। 2003 में उपचुनाव में सुनील कुमार पिंटू ने पहली बार इस सीट पर जीत दर्ज की थी, और फिर से उन्होंने 2005 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर लगातार जीत हासिल की। हालांकि, 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद के सुनील कुमार ने भाजपा के चार बार के विधायक सुनील कुमार पिंटू को 14,722 वोटों से हराकर इस सीट पर राजद का कब्जा कर लिया था।
2015 के विधानसभा चुनाव में राजद के सुनील कुमार ने भाजपा के विधायक सुनील कुमार पिंटू को हराया था। इस चुनाव में सुनील कुमार को 81,557 वोट (50%) मिले थे, जबकि भाजपा के सुनील कुमार पिंटू को 66,835 वोट (41%) मिले थे। यह चुनाव सीतामढ़ी में कुल 63.49% वोटिंग के साथ हुआ था, जो कि एक महत्वपूर्ण मुकाबला था। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सीतामढ़ी सीट पर वापसी की और मिथिलेश कुमार को उम्मीदवार के रूप में उतारते हुए इस सीट पर जीत हासिल की। मिथिलेश कुमार को कुल 90,236 वोट (49.90%) मिले, जबकि राजद के सुनील कुमार कुशवाहा को 78,761 वोट (43.55%) मिले। इस चुनाव में कुल 61.89% वोटिंग हुई थी।
सीतामढ़ी विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां मुस्लिम, ब्राह्मण-राजपूत और यादव मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। मुस्लिम वोटरों की संख्या इस सीट पर ज्यादा है, लेकिन ब्राह्मण-राजपूत और यादव वोटर भी यहां के चुनाव परिणाम पर असर डालते हैं।
सीतामढ़ी विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या लगभग 30,375 है, जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 10.39% है। अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की संख्या लगभग 88 है (0.03%)। मुस्लिम मतदाता इस क्षेत्र में प्रमुख हैं और उनकी संख्या लगभग 54,084 (18.5%) है। इस सीट पर 74.47% ग्रामीण और 25.55% शहरी मतदाता हैं।
सीतामढ़ी विधानसभा सीट बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण सीट बनी हुई है, जहां पिछले कई वर्षों से राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिली है। भाजपा और राजद के बीच मुकाबला हमेशा तीव्र रहा है, और आगामी चुनावों में यहां कौन सी पार्टी जीत हासिल करती है, यह देखने योग्य होगा।