बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी सियासी दल कमर कस रहे है. तमाम राजनीतिक दल विधानसभा चुनाव में अपनी सियासी ताकत को बढाने खातिर अभी से ही एडी चोटी का जोर लगाने की कवायाद में जुट गए है. एक ओर जहा राज्य की सत्ता पर काबिज एनडीए गठबंधन पूरी तरह एकजुट नज़र आ रहा है. वही दूसरी तरह विपक्ष यानि कुल 37 नेशनल पार्टियों सहित राज्यों के स्थानीय दलों के गठजोड़ से बने INDIA ब्लॉक की हालत ये है की लोकसभा चुनाव के बाद अबतक कई दल जहाँ साथ छोड़ चुके है तो वही दुसरे तरफ बिहार में राजद के अघोषित युवराज तेजस्वी यादव कई मौकों पर इस गठबंधन को महज लोकसभा तक का साथ बता चुके है. नतीजतन हालात ऐसे बन चुके है की इण्डिया ब्लाक के दलों के बीच अपनी डफली अपना राग अलापने का सिलसिला जारी है.इसी क्रम में अब बिहार विधान सभा चुनाव को देखते हुए विपक्षी गठबन्धन के बड़े सियासी नामो में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार बिहार के दौरे पर आ रहे है.
उल्लेखनीय है की तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के मिशन के साथ राजद सुप्रीमो लालू यादव इस चुनावी साल में न केवल अतिसक्रिय नज़र आ रहे है बल्कि लगातार समीकरणों को साधने के लिए विभिन्न जिलो का दौरा कर कार्यकर्ताओं को अभी से ही जुट जाने का टास्क दे रहे है. इसी बीच लगभग 2 दशक बाद पूर्व केन्द्रीय मन्त्री शरद पवार आगामी 27 फरवरी को बिहार के पूर्णिया पहुच रहे है. साथ में उनकी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष व सांसद सुप्रिया सुले भी आ रही है. मकसद बिहार विधान सभा चुनाव की तैयारी पर चर्चा होगी. दरअसल, बिहार के नेपाल से सटे अल्पसख्यक बहुल जिलो को सीमाचल के तौर पर जाना जाता है. विदित हो की बिहार में राजद को एमवाई समीकरण पर जबरदस्त पकड़ के लिए जाना जाता है. एनसीपी सीमांचल में ताल ठोकने की तैयारी की कवायद के तहत जुटे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राहत कादरी ने बताया कि सभी चारों जिले में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक आयोजित की जा रही है.पार्टी सूबे की 150 सीटों पर पार्टी की नजर है.
उल्लेखनीय है की पूर्व से ही सीमांचल पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM लगतार अपने उम्मीदवार उताकर कर न केवल अपनी जबरदस्त उपस्थीय दर्ज कराती रही बलकी बीते विधानसभा अचुनव में 2020 में 5 उम्मीदवारों की जिताने में भी कामयाब रही थी. जिसका फलाफल यह रहा था कि तेजस्वी यादव अकेले दम पर मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए. पहले से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी सीमांचल में सक्रय है और अब राजद के एम यानी मुसलमान पर डोरे डालने की एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की सियासी कवायद को देखते हुए सूबे के सियासी जानकारों मानना है की यह राजद के मिशन मुख्यमंत्री पर ग्रहण लग सकता है.