Sugauli Assembly Seat: बदलते समीकरणों और मजबूत जातीय गणित के बीच 2025 का संग्राम दिलचस्प

Sugauli Assembly Seat

पूर्वी चंपारण जिला स्थित सुगौली विधानसभा क्षेत्र (निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 11) बिहार की राजनीति में लगातार बदलते समीकरणों का गवाह रहा है। 1952 से अब तक कई दलों ने यहां से जीत दर्ज की, लेकिन पिछले दो दशकों में इस सीट पर भाजपा और राजद के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिला है। 2000 के दशक की शुरुआत में यह सीट राजद और निर्दलीय उम्मीदवारों के हाथ में रही, लेकिन अक्टूबर 2005 से 2015 तक भाजपा के रामचंद्र साहनी ने इस सीट पर लगातार तीन बार जीत हासिल कर भाजपा का गढ़ बना दिया। हालाँकि, 2020 के चुनाव में राजद के शशिभूषण सिंह ने यह सीट भाजपा से छीन ली, और इस तरह से एक दशक पुराने प्रभुत्व का अंत हुआ।

2020 के चुनावी आंकड़े बताते हैं कि राजद के शशिभूषण सिंह को 65,267 वोट (38.26%) मिले, जबकि वीआईपी पार्टी के रामचंद्र साहनी को 61,820 वोट (36.24%) प्राप्त हुए। लोजपा के विजय प्रसाद गुप्ता तीसरे स्थान पर रहे। इस बार कुल 59.36% वोटिंग दर्ज की गई।

सुगौली का राजनीतिक भविष्य जातीय गणित पर भी निर्भर करता है। मुस्लिम (23.4%) और यादव समुदाय यहाँ निर्णायक भूमिका में हैं। इसके अलावा राजपूत और ब्राह्मण मतदाता भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं, जो चुनावी नतीजों को प्रभावित करते हैं। अनुसूचित जाति मतदाता 11.22% और अनुसूचित जनजाति के 0.94% वोटर भी ध्यान देने योग्य हैं। सुगौली विधानसभा क्षेत्र ग्रामीण रूप से प्रमुख है, जहां 91% से अधिक मतदाता ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं, जबकि शहरी मतदाता मात्र 9% के करीब हैं। इस कारण यहाँ के चुनावी मुद्दे भी बुनियादी ज़रूरतों पर केंद्रित रहते हैं।

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प्रमुख मुद्दे और विकास की चुनौतियां

2020 में चुनाव के समय सुगौली को अनुमंडल बनाना, रघुनाथपुर को प्रखंड का दर्जा, बाढ़ व कटाव से बचाव, स्थानीय लघु उद्योगों का विकास, स्वास्थ्य एवं शिक्षा की स्थिति सुधार, और सड़क व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण जैसे मुद्दे प्रमुख थे। 2008 के परिसीमन के बाद इस क्षेत्र में सुगौली और रामघरवा ब्लॉक्स को शामिल किया गया, जिससे राजनीतिक समीकरणों में बदलाव आया और कई नेताओं की रणनीतियाँ नए सिरे से तैयार की गईं।