दलालों के आगे झुक गए तेजस्वी! परिहार से निर्दलीय उतरी रितु जायसवाल का राजद के नाम सख्त संदेश... रात के अंधेरे में चोरी छिपे बांटे टिकट

राजद के खिलाफ बागी होकर चुनाव मैदान में उतरी रितु जायसवाल ने परिहार में टिकट वितरण के दौरान तेजस्वी यादव पर दलालों के आगे झुक जाने का आरोप लगाया है

Ritu Jaiswal
Ritu Jaiswal - फोटो : news4nation

Ritu Jaiswal : परिहार विधानभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरी रितु जायसवाल ने राजद नेता तेजस्वी यादव पर दलालों के आगे झुक जाने का कथित आरोप लगाया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर मंगलवार को एक पोस्ट में राजद कार्यकर्ताओं के नाम संदेश लिखा है। जायसवाल ने लिखा है कि वर्ष 2020 में जब राष्ट्रीय जनता दल ने मुझे परिहार से टिकट देकर दल में शामिल कराया, उससे पहले ही मैं अपने सामाजिक कार्यों के लिए राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार (2019) और “Champions of Change” 🏆 (2018) जैसे राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त कर चुकी थी। इसलिए यह कहना पूरी तरह गलत है कि मैं एक मामूली मुखिया थी और राजद ने मुझे पहचान दिलाई थी - सच्चाई यह है कि मेरी पहचान मेरे काम से बनी थी।


उन्होंने आगे कहा, प्रदेश अध्यक्ष आदरणीय जगदानंद सिंह जी और तेजस्वी जी ने वर्ष 2023 में मुझे राजद महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष बनाकर जो विश्वास जताया था, उस पर खरा उतरने के लिए मैंने दिन-रात मेहनत की। लगभग ढाई वर्षों की अथक मेहनत के बाद आज बिहार में राजद की महिलाओं का जो मजबूत संगठन खड़ा हुआ है, उसे बापू सभागार में आयोजित महिला दिवस कार्यक्रम में आप सबने देखा है। 


तेजस्वी ने दिया लोकसभा चुनाव में टिकट 

जहाँ तक बात लोकसभा चुनाव 2024 की है - 21 मार्च 2024 को उपमुख्यमंत्री आवास पर तेजस्वी जी से और राबड़ी आवास पर लालू जी से ढाई घंटे की बैठक के बाद मुझे शिवहर लोकसभा से चुनाव लड़ने का निर्देश दिया गया था। मैं वहाँ पहुंचकर पूरे समर्पण से प्रचार में जुटी, लेकिन एक हफ्ते बाद पता चला कि पार्टी के कुछ दलाल रुपए लेकर किसी और को उम्मीदवार बनाने में लगे है। 30 मार्च 2024 को जब मैं दोबारा राबड़ी आवास पहुंची, तो माहौल पूरी तरह बदल चुका था। फिर भी, शिवहर लोकसभा की जनता के जबरदस्त समर्थन को देखते हुए तेजस्वी जी ने उन दलालों की दलीलों को किनारे किया और अंततः मुझे टिकट दिया। इस निर्णय के लिए मैं तेजस्वी जी की आभारी हूँ, और यह एहसान मैं कभी नहीं भूल सकती।


दलालों के आगे झुके 

इस बार भी, तेजस्वी जी ने परिहार से मेरा नाम फाइनल किया था, लेकिन दलालों के दबाव के आगे उन्हें झुकना पड़ा है। परिहार में मेरे समर्थक विरोध न करें, इसलिए मुझे बेलसंड का टिकट ऑफर किया गया। परंतु मैं यह कैसे स्वीकार करती कि मैं परिहार को बदहाल छोड़कर बेलसंड चली जाऊं, और मेरे कारण वर्तमान विधायक संजय गुप्ता जी का टिकट काट दिया जाए?


बिना जनाधार वाले को टिकट 

अगर पार्टी ने परिहार से किसी अन्य जमीनी कार्यकर्ता को टिकट दिया होता, तो मैं खुशी से पीछे हट जाती और उस उम्मीदवार का समर्थन करती। लेकिन, बिना जनाधार वाले व्यक्ति को टिकट देना, वो भी ऐसे परिवार को जिसने 2020 विधानसभा चुनाव में मेरे और पार्टी के साथ गद्दारी की थी, यह मुझे स्वीकार नहीं था।


दलालों के बढ़ते वर्चस्व को रोकना 

उन्होंने कहा कि परिहार से निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय मेरे लिए कोई आसान फैसला नहीं था। मैं चाहती तो चुप बैठ जाती - पार्टी ने बहुत कुछ दिया है, और आगे चलकर कुछ न कुछ दे ही देती। लेकिन, पार्टी के अंदर दलालों के बढ़ते वर्चस्व को रोकने के लिए यह कदम जरूरी हो गया था। मेरी लड़ाई किसी पद के लिए नहीं है - मेरी लड़ाई है उस व्यवस्था के खिलाफ, जहाँ पर पारदर्शिता की कमी है, और जहां रात के अंधेरे में चोरी छिपे टिकट बांटे जाते हैं। मेरी लड़ाई उस परिहार के लिए है, जो पिछले पच्चीस वर्षों से विकास के लिए तरस रहा है।