Pitru Paksha: मोक्ष नगरी गया में हर साल पितृ पक्ष के दौरान पितरों का पिंडदान किया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जिसका मानना है कि पितरों को मुक्ति दिलाता है। इस वर्ष एक अद्वितीय पहल देखने को मिली जब अलीगढ़ से 193 लोगों का एक समूह गया धाम पहुंचा ताकि 198 लावारिस शवों का पिंडदान कर सकें।
मानव उपकार संस्था का कार्य:
अलीगढ़ की मानव उपकार संस्था पिछले 25 वर्षों से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार और पिंडदान करती आ रही है। संस्था के संस्थापक ने बताया कि उनके लिए यह एक पवित्र कार्य है और वे मानते हैं कि हर जीव को सम्मान और अंतिम संस्कार का अधिकार है। इस वर्ष, संस्था के सदस्यों ने सुल्तानगंज में गंगा नदी में 198 लावारिस शवों की अस्थियों का विसर्जन किया। इसके बाद, वे गया धाम पहुंचे और वहां इन शवों का पिंडदान किया। पिंडदान करने वाले 193 लोगों में 98 महिलाएं भी शामिल थीं।
मानव उपकार संस्था का यह कार्य समाज में सकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। यह लोगों को मानवता और सेवा भाव के प्रति जागरूक कर रहा है। संस्था के सदस्यों के निस्वार्थ कार्यों से कई लोगों को प्रेरणा मिल रही है।
गया धाम का महत्व:
गया धाम हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। माना जाता है कि यहां पितरों का पिंडदान करने से उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है। गया में कई पवित्र स्थान हैं जहां पितरों का पिंडदान किया जाता है, जैसे कि गायत्री घाट, ब्रह्मपुत्र घाट और विश्वेश्वर घाट। मानव उपकार संस्था ने केवल गया में ही नहीं, बल्कि देश के चार धामों में से तीन और 12 ज्योतिर्लिंगों में से 9 में भी लावारिस शवों का पिंडदान किया है। यह संस्था धार्मिक भावनाओं के साथ-साथ सामाजिक सेवा के प्रति भी समर्पित है।
अलीगढ़ की मानव उपकार संस्था का यह कार्य सराहनीय है। उन्होंने साबित किया है कि मानवता की सेवा करना कितना महत्वपूर्ण है। उनके इस पुण्य कार्य से न केवल लावारिस शवों को शांति मिली बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक संदेश गया। यह कार्य प्रेरणा का स्रोत बन सकता है और अन्य लोगों को भी इस तरह के सेवा कार्यों में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकता है।