Dhanbad News: झारखंड के धनबाद स्थित IIT से एक दिल को झकझोर देने वाली खबर सामने आई है, जहां एक छात्र ने कड़ी मेहनत से IIT-JEE परीक्षा पास कर ली, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसे एडमिशन नहीं मिल पाया। यह छात्र उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर का रहने वाला है और उसके पिता दिहाड़ी मजदूर हैं। छात्र की आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि वह 17,500 रुपये की एडमिशन फीस जमा नहीं कर सका, जिसके कारण उसे IIT धनबाद में अपनी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की सीट छोड़नी पड़ी।
मेहनत और सपनों की लड़ाई
यह छात्र बिना कोचिंग के ही IIT-JEE परीक्षा में सफल हुआ था, जो उसके लिए और उसके परिवार के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी। लेकिन जब सीट आवंटन हुआ और उसे फीस जमा करने के लिए चार दिन का समय दिया गया, तब वह आवश्यक राशि का इंतजाम नहीं कर पाया। छात्र के परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि उसके पिता हाड़तोड़ मेहनत कर परिवार का पेट पालते थे।
न्याय की खोज: हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक
अपनी सीट बचाने के लिए इस मेधावी छात्र ने कई जगहों पर गुहार लगाई। पहले उसने राष्ट्रीय SC-ST आयोग, फिर झारखंड विधिक सेवा प्राधिकरण और मद्रास हाईकोर्ट तक से राहत पाने की कोशिश की। लेकिन उसे कहीं भी सफलता नहीं मिली। अंततः छात्र ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी परदीवाला की पीठ ने की। अदालत ने छात्र की स्थिति और उसकी आर्थिक तंगी को समझते हुए कहा कि उसकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट की सहानुभूति और उम्मीद
सुप्रीम कोर्ट ने छात्र की मेहनत और परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए सहानुभूति दिखाई और यह आश्वासन दिया कि उसके सपनों को पूरा करने में कोई बाधा नहीं आने दी जाएगी। छात्र ने अदालत को बताया कि यह उसका अंतिम प्रयास था और यदि इस बार उसे एडमिशन नहीं मिला, तो वह हमेशा के लिए IIT में पढ़ाई का सपना खो देगा।