Navratri 2024: देश के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में शामिल झारखंड के रामगढ़ स्थित रजरप्पा के माँ छिन्नमस्तिका मंदिर में नवरात्रि के दौरान विशेष धूमधाम देखने को मिलती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, माँ सती की योगनियां भूख से व्याकुल थीं, और उनकी भूख मिटाने के लिए माँ छिन्नमस्तिका ने अपना सिर काटकर उन्हें रक्त का पान कराया था। इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु मानते हैं कि माँ छिन्नमस्तिका के दर्शन से उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
शारदीय नवरात्रि की तैयारी में मंदिर का भव्य श्रृंगार: शारदीय नवरात्रि के अवसर पर माँ छिन्नमस्तिका मंदिर को फूलों से सजाने का विशेष प्रबंध किया जा रहा है। इस बार मंदिर कोलकाता के विभिन्न प्रकार के खूबसूरत फूलों से सजाया जा रहा है, जिससे पूरा मंदिर प्रांगण फूलों की महक से भर गया है। मंदिर की सजावट में एक दर्जन से अधिक कारीगर लगे हुए हैं, जो इस पवित्र स्थल को और भी आकर्षक बना रहे हैं।
नवरात्रि में माँ का भव्य दरबार: हर साल की तरह इस वर्ष भी नवरात्रि के अवसर पर माँ छिन्नमस्तिका का भव्य दरबार सजाया जा रहा है। यह भव्यता और आस्था का संगम मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होता है। नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना के साथ माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप, माँ शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की गई।
9 दिन तक होती है 9 रूपों की पूजा: मंदिर के पुजारियों के अनुसार, रजरप्पा में नवरात्रि का विशेष महत्व है। यहाँ माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा पूरे नौ दिनों तक की जाती है। प्रत्येक दिन माँ के एक अलग स्वरूप की आराधना की जाती है। सुबह मंदिर के पट खुलने के बाद माँ भगवती की विशेष पूजा होती है। इसके बाद दोपहर में माँ को भोग चढ़ाया जाता है, और संध्या समय माँ का श्रृंगार और भव्य आरती की जाती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र : माँ छिन्नमस्तिका के मंदिर में नवरात्रि के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से भक्तजन दर्शन के लिए आते हैं। यहाँ की मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से माँ की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मंदिर की भव्य सजावट और माँ के आशीर्वाद के लिए भक्तजन बड़ी संख्या में जुटते हैं, जिससे यहाँ की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर और भी प्रबल हो जाती है