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Nisha murder case - एकतरफा इश्क और ईर्ष्या में बैंक मैनेजर ने जूनियर महिला कर्मी को उतारा मौत के घाट, अब जेल में कटेगी पूरी जिंदगी

Nisha murder case - एकतरफा इश्क और ईर्ष्या में बैंक मैनेजर न
निशा मर्डर केस के आरोपी को उम्र कैद- फोटो : न्यूज4नेशन

Dhanbad - बैंकमोड़ थाना क्षेत्र में 21 जनवरी 2024 को हुए बहुचर्चित निशा कुमारी हत्याकांड में सोमवार को जिला एवं सत्र न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने टाटा म्यूचुअल फंड के ब्रांच मैनेजर नीरज आनंद को आजीवन कारावास (उम्रकैद) की सजा सुनाई है। महज 18 महीनों में इस जटिल मामले का निपटारा होना न्यायिक प्रक्रिया की तत्परता और धनबाद पुलिस की प्रभावी जाँच का एक महत्वपूर्ण उदाहरण माना जा रहा है। पीड़ित परिवार ने अदालत के इस त्वरित और कठोर निर्णय पर गहरा संतोष व्यक्त किया है।

एकतरफा प्रेम और ईर्ष्या बनी हत्या की वजह


 पुलिस की जाँच में खुलासा हुआ कि विवाहित अभियुक्त नीरज आनंद अपनी सहयोगी निशा कुमारी के प्रति जुनूनी आसक्ति रखता था। जब उसे पता चला कि निशा की शादी किसी अन्य युवक से तय हो गई है, तो ईर्ष्या और द्वेष ने उसे अपराधी बना दिया। नीरज ने पहले तो निशा की शादी की तैयारियों के लिए अपने क्रेडिट कार्ड से भुगतान कर सहानुभूति बटोरने और फिर ब्लैकमेल करने की योजना बनाई। हालाँकि, निशा द्वारा सहयोग न किए जाने और नौकरी छोड़ने के बाद भी नीरज लगातार उसे परेशान करता रहा। हत्या से ठीक एक दिन पहले, उसने 100 से अधिक कॉल और 65 संदेश भेजकर निशा पर दफ्तर आने का दबाव बनाया था।

ऑफिस में की गई क्रूर हत्या और भागने की असफल कोशिश


 हत्या वाले दिन, रविवार को ऑफिस बंद रहने का फायदा उठाते हुए नीरज आनंद दो घंटे पहले ही कार्यालय पहुँच गया। उसने निशा को बुलाया, उसे प्रताड़ित किया और फिर धारदार हथियार से उसकी बेरहमी से हत्या कर दी। वारदात को अंजाम देने के बाद, उसने सबूत मिटाने की कोशिश की और ऑफिस का गेट बाहर से बंद करके फरार हो गया। गिरफ्तारी से बचने के लिए, वह लगातार तीन दिनों तक बाइक और एम्बुलेंस की मदद से अपने ठिकाने बदलता रहा, लेकिन 24 जनवरी 2024 को धनबाद पुलिस की विशेष टीम ने उसे आखिरकार दबोच लिया।

पुलिस की सटीक जाँच और त्वरित न्याय


इस मामले में धनबाद पुलिस की भूमिका सराहनीय रही। पुलिस ने फॉरेंसिक, इलेक्ट्रॉनिक और साइबर साक्ष्यों के आधार पर समय पर चार्जशीट दाखिल की। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 25 गवाह पेश किए, जिससे मामला मज़बूती से अदालत में स्थापित हुआ। अनुसंधानकर्ता रमन कुमार विश्वकर्मा, साधन कुमार और रंजीत कच्छप की टीम ने मामले को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

मात्र 49 दिनों की त्वरित सुनवाई के बाद, अदालत ने सोमवार को यह कठोर फैसला सुनाकर यह सुनिश्चित किया कि अपराधी को उसके कृत्य की सज़ा जल्द से जल्द मिले।